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________________ ५७८ भगवती सूत्रे एवमेव अष्टौ त्रुटिकयुगानि वाडाभरणयुगानि, 'अनु खोमजुयलाई, खोमजुयलपवराई, एवं वडगजुलाई, एव पट्टजुयलाई, एवं दुगुल्लजुगलाई,' अष्टौ क्षौमयुगलानि - धौमं - कार्पासिक, अतसीमय वा वखम्, तद्युगानि, क्षौनयुगलेषु प्रवराणि, एवमेव - अष्टौ चटकयुगलानि, वटकं त्रसरीमयं वस्त्रं, तद्युगानि, एवमेव - अष्टौ पट्टयुगलानि - पट्ट पट्टसूत्रमय वस्त्रं तद्युगानि रेशमनस्त्रेति प्रसिद्धानि एवं-तथैवअष्टौ दुकूलानि - दुकूलाभिधानं वृक्षत्वग् निष्पनं वल्कलवस्त्रं तद्युगानि, एतेषु प्रवराणि 'अ सिरीयो, अहिरीओ, एवं धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ' अष्टौ श्रयः, अष्टौ हियः एवमेव अष्टौ धृतीः, धियो वा, अष्टौं कीर्त्तीिः, अष्टौ बुद्धीः, अष्टौ लक्ष्मीः, एताश्च श्रीप्रभृतयः षड्देवताः पुतलिका अवसेया: 'अट्ठ नंदाई, ट्ट भाई, अट्ट वले, तलपवरे' अष्टौ नन्दानि, अष्टौ भद्राणि - शुभसूच , " अह खोम जयलाई खोमजुयलप्पवराई' सूत के बने हुए या अतसी के बने हुए वस्त्र युगलों में श्रेष्ठ आठ वत्रयुगल ' एवं वडगजुयलाई, एवं पट्ट जयलाई एवं दुगुलजुयलाइ ' टसर के वायुगलो में श्रेष्ठ आठ टसर के वस्त्रयुगल, रेशमी वस्त्रयुगों में श्रेष्ठ आठ रेशमी वस्त्रों की जोड़ी. वृक्ष की छाल से बने हुए दुकूल युगों में श्रेष्ठ ऐसे आठ दुकूलयुग, अड सिरीओ, अड हिरीओ, एवं धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीओ, लच्छीओ ' आठ श्री देवकी पुतलियां, आठ ही देवी की पुतलियां, आठ धृति देवी की पुतलियां, आठ कीर्ति-देवी की पुतलियां, आठ बुद्धि देवी की पुतलियां, आठ लक्ष्मीदेवी की पुतलियां, अट्ठ नंदाई, अट्ठ भद्दाइ, अट्टे तले, तलप्पवरे' आठ नन्द, आठ भद्र-शुभ सूचक आसनविशेष, एव शय्या में श्रेष्ठ आठ तल- शय्याविशेष, जो कि ये (आहुम घनी लेडे!) " अट्ठ खोमजुयलाइ खोम जुयलप्पवराई' અથવા અળસીના ખનેલા વસ્ત્રયુગલામાંથી આઠ ઉત્તમમાં ઉત્તમ વયુગલ, " एवं वडगजुयलाइ, एवं पट्ट जुयलाई, एवं दुगुल्लजुयलाइ " सेन असावे ટસરના વયુગલામાંથી આઠ શ્રેષ્ઠ ટસરના વજ્રયુગલે, રેશમી વસ્ત્રોમાંથી શ્રેષ્ઠ એવી આઠ રેશમી વસ્રની જોડે, વૃક્ષની છાલમાંથી ખનાવેલા ફૂલચુगोभांथी श्रेष्ठभा श्रेष्ठ सेवा माठ दुसयुगो " अट्ठ सिरीओ, अट्ठ हिरीओ, एवं धिईओ कित्तीओ, बुद्धीओ, डीओ" श्री देवानी आठ पुत्तलीओ, ड्री દેવીની આઠ પુત્તલીએ. એક રીતેેવીની પુત્તલીયા, આઠે બુદ્ધિડેવીની પુત્તલીધે, આઠ લક્ષ્મીદેવીની પુર્નલ धातवानी खापुत्तली, "अठ्ठ नंदाइ, अट्ठ भद्दाइ, अटूनले, तापवरे " श्री नन्हासन, आ भद्र (शुभ सूर्य आसन વિશેષ) અને શય્યાએ મા ष्ठ सेवां भाई तल (शय्या - पथारी विशेष ) है સૂતર " CA ܕܕ
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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