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________________ १४२ भगवती सूत्र काली १. रात्रिः २, रजनी ३, विशुन् ४, मेधा ५, 'तत्यणं एगमेगाए देवीए, अढदेवीसहस्सा परिवारो पण्णत्तो' तत्र खलु तास पश्चम मध्ये एकैकस्याः देव्याः अअमहिष्याः अष्टौ अष्टौ देवीसहस्राणि परिवारः मज्ञः, 'पभूणं भंते ! ताओ एगमेगा देवी अन्नाई अट्ट देवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए' प्रक्षुः समर्थी खलु ताभ्यः पञ्चाग्रमहिषीषु एकेका देवी अग्रमडिपी अन्यानि अट अष्ट देवीसहस्राणि परिवारं विकुक्तुि-विकुणया शक्त्या निष्पादयितुम् ‘एवामेत्र सपुव्यावरेणं चत्तालीमं देवीसहस्सा, से तं तुडिए' एवमेव पूर्वोक्तरीत्यैव प्रश्नोत्तरीत्यैव उत्तरं विज्ञेयम् . यथा-हन्त हे आर्शः? प्रभुः समर्था. तास्तु पञ्चायमहिषीषु एकैका देवी नाम इस प्रकार से हैं काली १, रात्री २, रजनी ३, विद्युत् ४, और पाचवी मेघा 'तत्य णं एगमेगाए देवीए अ देवी सहाला परिवारो पण्णत्तो इन पांच पट्ट देवियों के मध्य में एक एक अग्रमहिषी पी ओठ आठ हजार देवी परिवार है। अब उन स्थविर भगवन्तों ने प्रभुसे ऐसा पूछा-'पभू णं भते! ताओ एगमेगा देवी अन्नाई अहट देवी सहस्साइ परिवार विउवित्तए' हे भदन्त ! उन पांच अग्रसहिपियों में ले एक एक अग्रहिवी अपनी विकर्षणा शक्ति से या अन्य आठ २ हजार देवी परिवार को चिकुर्वित करने के लिये समर्थ है ? अपनी चिकुर्वणा शक्ति द्वारा देवी परिवार को निष्पादित करने में शक्तिशाली है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'एचामेव सव्वारेण चत्तालीस देवीसहस्सा से तं तुडिए' हे स्थविरों! प्रश्नोतरीति के अनुसार ही अपने प्रश्न का उत्तर जालना चाहिये-अर्थात् पांच अग्रहिपियों में से (२) रात्री, (२) २४ नी, (४) विधुत् , (५) भेछ। “ तत्थण एगमेगाए अव देवी सहस्सा परिवारा पणतो" ते प्रत्ये। ममहिषीनी मार, २मा १२ દેવીઓને પરિવાર છે. स्थविर सताने प्रश्न-पभूण भंते ! ताओ एगमेगादेवी अन्नाई अहट्ट देवी छहस्साई परिवारं विउवित्तए ? " , सावन् ! ते पांय महिषीमे। શું પિતાની વિદુર્વાશક્તિથી ૮૦૦૦-૮૦૦૦ દેવી પરિવારની વિમુર્વણા કરવાને સમર્થ છે?–એટલે કે તેઓ શું વૈદિયશક્તિ દ્વારા આઠ આઠ હજાર દેવીઓનું નિર્માણ કરવાને શક્તિશાળી છે? - महावीर प्रसुने। उत्त२-" एवामेव सपुवावरेण चत्तालीत देवी सहस्मा से त तुहिए" है यदि ! प्रश्नोत शत अनुसा२ ५ तमा२१ प्रश्न उत्तर સમજ. એટલે કે તે પ્રત્યેક અમહિષી પિતાની વિકુવં શક્તિદ્વારા આઠ
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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