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________________ " टीका श०८ ३० ९ सू०४ औदारिकशरीर प्रयोग धन्धवर्णनम् २३७ न्द्रियस्य तथैव भणितव्यम्, देशवन्धान्तरम् जघन्येन एक समयम् उत्कर्षेण त्रयः समयाः यथा पृथिवीकायिकानाम्, एवं यावत् - चतुरिन्द्रियाणाम्, वायुकाय वर्जितानाम्, नवरं सर्वबन्धान्तरम् उत्कर्षेण या यंस्य स्थितिः सा समयाधिका " वन्धका अन्तर काल की अपेक्षा कितना है ? ( गोयमा ) है गौतम । पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय के औदारिक शरीर के बंध का अंतर ( सवपतरं जहेव एर्गिदियस्स तहेव भाणियंव्वं, देसव धंतर जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तिनि समया जहा पुढविक्कायाणं ) सर्ववध की अपेक्षा से जैसा एकेन्द्रिय का सर्वबंध का अंतर कहा गया है वैसा है और देशबंध का अंतर जघन्य से एक समय का और उत्कृष्ट से तीन समय का है । जैसा पृथिवीकायिक जीव के औदारिक शरीर बंध का अंतर कहा गया है उसी तरह से ( एवं जाव चरिंदियाणं वाउकाइयवज्राणं ) यावत् चौइन्द्रिय जीवों तक के औदारिक शरीर वध का अन्तर वायुकायिक जीवों के औदारिक शरीर बंध के अन्तर को छोड़कर जानना चाहिये ( नवरं सव्वत्र धंतरं उक्कोसेणं जा जस्सठिई सा समयाहिया कायव्वा ) पर यहां जो विशेषता है वह ऐसी है कि यहां सर्वबन्ध का उत्कृष्ट अन्तर जिसकी जितनी आयुष्य स्थिति है उसे एक समय अधिक करके कहना चाहिये । अर्थात् सर्वबंध का अन्तर પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદ્યારિક શરીરના અધતુ' અંતરકાળની અપેક્ષાએ 'डेट' छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम ! पृथ्वी अयि मेन्द्रियना मोहारि शरीरना धतुं अ ंतर ( सम्बध तर जहेव एगि दियस्स तहेव भाणियव्वं, देवध तर जहणणेण एक्क' समयं उक्कोसेणं तिन्नि समया नही पुढविक्काइयाण ) સ બધની અપેક્ષાએ એકેન્દ્રિયના સબંધના અંતર જેટલુ જ છે અને દેશ'ધની અપેક્ષાએ તે અંતર ઓછામાં આછુ` એક સમયનું અને વધારેમાં વધારે ત્રણ સમયનું છે. જેવી રીતે પૃથ્વીકાયિક છવાના ઔદારિક શરીર 'धनु तर वांभी आयु छे, ( एवं चेव जाव चउरिदियांण' वाचककाइय वजण ) मे प्रभा अतुरिन्द्रिय पर्यन्तना लवोना भोहारि शरीर म धनु અત્તર પણુ સમજવુ. પણ વાયુકાયિક જીવેાના ઔદારિક શરીર મધના અતરમે તે પ્રમાણે સમજવું જોઇએ નહીં. એટલે કે વાયુકાય સિવાયના જીવાના शरीर अधना अ ंतरने माथिनः सागु पडे' छे. ( नवर सव्वव धतर कोसेण' जा rrr ठिई सा समयाहिया कायन्ना ) प गडी भेटली
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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