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________________ ૦૨ गमती परीपहाः प्रज्ञप्ताः, नव पुनर्वेदयति यस्मिन् समये शीतपरीपदं वेदयति, नो तस्मिन् समये उष्णपरीपदं वेदयति, यस्मिन् समये चर्यापरीपहं वेदयति नो तस्मिन् समये शय्या परीप वेदयति, यस्मिन् समये शय्यापरीपदं वेदयति नो तस्मिन् समये चर्यापरीपहं वेदयति ॥ मु० ५ ॥ टीका- 'कइ णं भंते! कम्पयडीओ पण्णत्ताओ ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! कति कियस्य खलु कर्मप्रकृतयः सावद्यानुष्ठानलक्षणाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह 'गोयमा ! अयोगी भवस्थ केवली के कितने परीषह होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम! कर्मधरहित अयोगी भवस्थ केघली के ( एक्कारसपरीसहा पण्णत्ता ) ११ परीषह होते हैं । ( नव पुणवेदेह ) परन्तु वे एक साथ नौ परीषहों का वेदन करते हैं । (जं समयं सीघपरिसहं वेएइ, नो तं समयं उसिणपरीसहं वेएइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेएइ, नो तं समयं सीय परीसहं वेएइ, जं समयं चरियापरिसहं वेएइ, नो नं समयं सेज्जापरीसहं वेएइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेएइ, नो तं समयं चरियापरीसहं वेएड् ) क्यों कि जिस समय में वे शीतपरीषह का वेदन करते हैं उस समय उष्णपरीषह का वेदन नहीं करते हैं। और जब वे उष्णपरीषह का वेदन करते हैं तब शीतपरीषह का वेदन नहीं करते हैं । तथा जब वे चर्यापरीषह का वेदन करते हैं, उस समय वे शय्यापरीषह का वेदन नहीं करते हैं, और जब वे शय्यापरीषह का वेदन करते हैं, तब वे चर्यापरीषह का वेदन नहीं करते हैं । अध रहित योगी लवस्थ ठेवलीना डेंटला परीष। उद्या छे ? ( गोयमा 1 ) हे गौतम! उर्भध रहित योगी लवस्थ वसीना ( एक्कारस परीसहा पण्णत्ता) अगियार परीष । उह्या छे, ( नव पुण वेएइ ) परन्तु तेथे शे साथै नव परीषतुं वेहन उरे छे. ( जं समयं सीयपरिसह वेएइ, नो त समयं उसिणपरीसहं वेएइ, जं समयं उसिणपरीसह वेएड, नो त समय सीयपरीसह वेएर, जं समयं चरियापरीसहं वेएर, नो त समयं सेज्जापरीसहं वेएर, ज समयं सेज्जापरीसह वेएइ, नो त समयं चरियापरीसहं वेएइ ) २ જે સમયે તેએ શીતપરીષનુ વેદન કરે છે, તે સમયે ઉ′પરીષહનું વેદન કરતા નથી, અને જે સમયે ઉષ્ણુપરીષહતુ. વેદન કરે છે, તે સમયે શીતપરીપહનું વેદન કરતા નથી. અને જ્યારે તેએ ચર્ચાપરીષહનું વેદન કરે છે, ત્યારે શય્યાપરીષહનું વેદન કરતા નથી, અને જ્યારે તે શય્યા પરીષહનું વેદન ક૨ે છે, ત્યારે ચોપરીષહતું વેદન કરતા નથી,
SR No.009317
Book TitleBhagwati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages784
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size46 MB
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