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________________ ७१२ भगवतीमत्रे वा,' हे गौतम ! तथानाम कश्चित्पुरुपः एकं महत् उर्णालोम बा, (मेपलोमा) गजलोम वा, मणलोम वा, कार्पासलोम वा, तृण स्त्र बा, 'दुहा वा तिहा बा, मखेज्जहा चा, छिदित्ता, अगणिकायंसि पक्खिवेजा द्विधा , वा, त्रिधा वा, स ख्यातधा वा छित्वा अग्निकाये प्रतियेत् 'से चून गोयमा ! -छिज्नमाणे छिन्ने, पक्खिप्पमाणे पविखत्ते, दज्झपाणे दड्ढेत्तिवत्तव्यं सिया ? हे गौतम ! तत् उर्णालोमादिकम् नूनं किम् छिद्यमानं द्विधा क्रियमाणं छिन्नं प्रक्षिप्यमाणं पक्षिप्तं, दह्यमानं दग्धमिति वक्तव्यं स्यात् ? गौतम आठ-हना महं उनालोम बो, गथलोम वा, सणलोमं वा, कप्पाललोग वा, तणस्यं वा' जैसे कोई एक पुरुष मेष के बालों के ढेर को-ऊनको हाथी के रोम के ढेर को, सणको, कपाल को तथा घास के रम्से को 'दुहा बा लिहा वा संखेजहा वा छिदित्ता' दो एकडे करके तील हुकडे करके अथवा संख्यात हुकडे कर के 'अगणिकालि पक्खिवेजा' अग्निकाय में-अग्नि में डाल देता है । से गृणं गोथमा ! छिज्जमाणे छिन्ने, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, दज्झमाणे दड्ढेत्ति दत्तव्यं सिया' तो हे गौतम ! उस छेदे जाते हुए ऊन आदि पदार्थ में 'वह छिन्न हो गया' छेद दिया गया-इस तरह से वर्तमान काल में भूतकाल का प्रयोग होता है न ? अग्नि में डाले जाते हुए उसमें 'वह अग्नि में डाल दिया गया ऐसा वर्तमान काल में भृतकाल का प्रयोग होता है न ? इसी तरह जलते उन ऊन आदिकों में 'वे जल गये' इस - प्रकार से वर्तमान काल में भूतकाल का प्रयोग होता है न ? इसके ... Sत्तर :- · गोयमा' 3 गौतम ! ' से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं उन्नालोमं वा, गयलोमं वा, सणलोमं वा, कप्पासलोमं वा, तणमयं वा' જેમકે કેઈ એક પુરુષ ઘેટાના વાળ-ઉનના ઢગલાને, હાથીના વાળના ઢગલાને, રાણુના । साने, ४पासना २सान, तथा घासना टुडाने (२७ने) 'दुहा वा तिहादा संखेज्जहा वा छिदित्ता' मे, त्रय अथवा असभ्य टु। ४शने 'अगणिकायंसि परिखवेज्जा' 'अनिमा नामीछे से गृणं गोयमा छिज्जमाणे छिन्ने, पक्खिप्पयाणे पक्खित्ते, दज्झमाणे दड्ढे त्ति वित्त सिया' तो गीतम! त छदा रहेता * ઉન દિ પદાર્થોને માટે તેને છેદી નાખવામાં આવ્યા ”, એ પ્રયોગ થાય છે કે નહીં ? અગ્નિમાં નાખવામાં આવતા પદાર્થને માટે “અગ્નિમાં નાખી દેવાયે', એ પ્રયોગ થાય છે કે નહીં ? અગ્નિમાં બળતાં ને ઊન આદિ પદાર્થને માટે “અગ્નિમાં બળી ગયા , એવો પ્રયોગ થાય છે કે નહીં? આ પ્રકારે વત માનકાળમાં ભૂતકાળને પ્રગટ થાય છે કે
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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