SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ सू.२ पुद्गलभेदनिरूपणम् सियदेव० ' चन्द्रविमानज्योतिपिकदेवाः यावत् सूर्यविमानज्योतिषिकदेवाः, ग्रहविमानज्योतिपिकदेवाः नक्षत्रविमानज्योतिपिकदेवाः, ताराविमानज्योतिषिकदेवाः, इति । एवं 'वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता' वैमानिक-- देवा द्विविधाः प्रज्ञप्ताः तं जहा'-तद्यथा-' कप्पोववनग० कप्पातीयगवेमाणि० ' कल्पोपपन्नकवैमानिकदेवाः, कल्पातीतकवैमानिकदेवाः । 'कप्पोवगा दुवालसविहा पण्णत्ता' कल्पोपपन्नकाः त्रैमानिकदेवाः द्वादशविधाः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा-' तद्यथा-' सोहम्मकप्पाववनग० जाव अच्चुयकप्पोवबन्नगवेमाणिया' - सौधर्मकल्पोपपन्नकमानिकदेवाः १, यावत्-ईशानकल्पोपपन्नकाः२, सनत्कुमारकल्पोपपनकाः ३, माहेन्द्रकल्पोपपन्नकाः ४, ब्रह्मलोककल्पोपपन्नकाः ५, लान्तककल्पोपपन्नकाः ६, महाशुक्रकल्पोपपन्नकाः ७, सहसारजोइसिय जाव तारा विसाण जोइसिय देव,' चंद्रविमान ज्योतिपिकदेव सूर्यविमान ज्योतिपिक देव, ग्रहविमान ज्योतिषिक देव, नक्षत्रविमान ज्योतिषिकदेव, तारा विमान ज्योतिषिकदेव एवं वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता' वैमानिक देव दो प्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' जो इस प्रकार से हैं 'कप्पोक्वनग कप्पातीयग वेमाणिय' कल्पोपपन्न वैमानिक देव, और कल्पातीत वैमानिक देव 'कप्पोवगा दुवालसचिहा पण्णत्ता' कल्पोपपन्न वैमानिक देव १२ बारहप्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' जो इस प्रकारसे हैं 'सोहम्मकप्पोववनग०, जाव अच्चुयकप्पोववन्नगवेमाणिया' सौधर्म कल्पोपपन्नक वैमानिक ईशानकल्पोपपन्नक देव, सनत्कुमार कल्पोपपन्नक वैमानिक देव, माहेन्द्र कल्पोपपन्नक वैमानिक'चंदविमाण जोइसिय, जाव ताराविमाण जोइसिय देव.' (१) यन्द्रविमान न्योतिषि हेव, (२) सूर्य विभान ज्योतिषि हेव, (3) अविभान ज्योतिषि हेव, (४) नक्षत्रविमान ज्योतिषि व भने. (५) विभान ज्योतिषि व 'एवं वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता' में शत वैमानि हेवाना मे ५४२ ४था छ __'तंजहा' ते मे ५४२। नीय प्रभा-'कप्पोववनग. कप्पातीयग वेमाणिय०. (१) यापन भानि । मने (२) ४६पातीत मानि ४३३. 'कप्पोवगा वालसविहा पण्णत्ता' यायपन्न मानि४ वाना मारे १२ या छे. 'त जहा' ते मार ४२ नीय प्रभारी छे-'सोहम्मकप्पोववनग०, जाव अच्चुयकप्पोववनगवेमाणिया' (१) सौधर्म पापयन वैमानि १५, (२) शान स्यापन: वैमानि देव, (3) સનસ્કુમાર કપ પન્નક વૈમાનિક દેવ, (૪) મહેન્દ્રકપિપન્ન વૈમાનિક દેવ, (૫)
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy