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________________ भगवतीमत्रे कल्पोपपत्रकाः ८, आनतकल्पोपपन्नकाः ९, प्राणतकल्पोपपन्नकाः १०, आरणकल्पोपपन्नकाः ११, अच्युतकल्पोपपन्नकाः वैमानिकदेवाः १२, 'कप्पातीय० गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता' हे गौतम! कल्पातीतकवैमानिकदेवाः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा'-तद्यथा-'गेवेजगकापातीयवे० अणुत्तरोववाइयकप्पातीयवे०' अवेयककल्पातीतकवैमानिकदेवाः, अनुत्तरौपपातिक कल्पातीतकवैमानिकदेवाः, 'गेवेज्जगकप्पातीयगा नवविहा पण्णत्ता' ग्रैवेयककल्पातीतका वैमानिकदेवाः नवविधाः प्रज्ञप्ता 'त जहा' तद्यथा- हेहिमहेटिमगेवेज्जगकप्पातीयगवे० , जाव उपरिमउरिमगेवेज्जगकप्पातीय० । अधस्तनाऽधस्तनौवेयककल्पातीतकवैमानिकदेवास्त्रिकाः यावत् मध्यममध्यम देव, ब्रह्मलोक कल्पोपपन्नक वैमानिक देव, लान्तक कल्पोपपन्नक वैमानिक देव, महाशुक्र कल्पोपपत्रक वैमानिक देव, सहस्त्रारकल्पोपपन्नक वैमानिक देव, आनत कल्पोपपन्नक वैमानिक देव, प्राणतकल्पोपपन्नक वैमानिकदेव' आरण कल्पोपपन्नकवैमानिकदेव, और अच्युतकल्पोपपन्नक वैमानिक देव, 'कप्पातीय गोयमा दुविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! कल्पातीत वैमानिक देव दो प्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' जो इस प्रकार से हैं वेजगकप्पातीय वे० अणुत्तराववाइय कप्पातीय वे०' वेयक कल्पातीतक वैमानिकदेव और अनुत्तरौपपातिक कल्पातीतक वैमानिक देव 'गेवेजगकप्पातीयगा नवविहा पण्णत्ता' अवेयक कल्पातीतक वैमानिकदेव नौप्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' जो इस प्रकारसे हैं 'हेटिम हेटिम गेवेजगकप्पातीयग वे जाव उचरिम उवरिम गेवेजगकप्पातीय' अधस्तनाधस्तन ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिकदेव३, यावत् उपरिमो. બ્રહ્મલેક કલ્પપપન્નક વૈમાનિક દેવ, (૬) લાન્તક કલ્પપપન્નક વૈમાનિક દેવ, (૭) भाशु ४८यायपन भनि ३५, (८) सहसा२ पोपपन्न वैमानि देव, (६) આનત ક૫૫નક વૈમાનિક દેવ, (૧૦) પ્રાણતકલ્પપપનક વિમાનિક દેવ, (૧૧) मारणस्पोपपन्न वैमानि हेव, (१२) अय्युत४८या५पन्न वैमानि ५. 'कप्पातीय. गोयमा ! दुविहा पण्णता-तं जहा' हे गौतम ! ४६५ातात वाना नाये प्रभारी ने २ ४या छ-'गेवेज्जग कप्पातीय वे० अणुत्तरोववाइय कप्पातीय वे०' (१) રૈવેયક કલ્પાતીત વૈમાનિક દેવ અને (૨) અનુત્તરૌપપાલિક કલ્પાતીત વિમાનિક દેવ. 'गेवेजगकप्पातीयगा नवविहा पण्णत्ता' |वेयर यातात. भानि: हैवाना न १२ या छे त जहा' ते न २ नीय प्रमाणे छ-"हेटिम हेटिम गेवेजगकप्पातीयग वे., जाव उचरिम उवरिम गेवेज्जकप्पातीय.' - सौथा नायना नए अवय વિમાનમાં રહેતા રૈવેયક કપાતીત વૈમાનિક દેવે ૩, ત્રણ મધ્યમ વેયક વિમાનમાં
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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