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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १ सू. २ पुद्गलभेदनिरूपणम् २५ , एगिदियपओगपरिणयाय सुक्ष्मपृथिवीकायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताच, वादरपृथिवीकायिकै केन्द्रियमयोगपरिणताच | 'आउक्काइयए गिंदियपओगपरिणया एवमेव' पृथिवीकायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणतपुद्गलवदेव अष्कायिकै केन्द्रियप्रयोग परिणताः पुद्गला अपि सुक्ष्मवादरभेदेन द्विविधाः प्रज्ञप्ताः । " एवं दुपयओ भेदा जाव वणस्सइकाइया य एवम् पृथिव्यप्कायप्रयोगपरिणतेषु पुद्गलेष्विव द्विको द्विपरिणामः द्विपदा वा भेदः सूक्ष्मवादर विशेषेणकृत प्रकारो यावत् - तेजस्कार्यि कैकेन्द्रियप्रयोगपरिणतेषु, वायुकायिक केन्द्रियमयोगपरिणतेषु वनस्पतिका थिकै केन्द्रियमयोगपरिणतेषु पुद्गलेष्वपि वोध्यः । तथाच तेजस्कायिक- वायुकायिक वनस्पतिकायिकैकेन्द्रियमयोगपरिणता अपि पुद्गलाः सूक्ष्मवादरभेदेन द्विविधा भवन्तीति भावः । गौतमः एगिदियपओगपरिणया य, बादरपुढविकाइयए गिंदियपओगपरिणयाय' सूक्ष्मपृथिवोकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, बादर पृथिवीकायिक एकेन्द्रियप्रयोग परिणत 'आउकाइय एगिंदियपओगपरिया एवमेव' पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गलोंकी तरह से ही अपकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल भी सूक्ष्मबादर के भेदसे दो प्रकार के कहे गये हैं । ' एवं ' दुपयओ भेदा जाव वणस्सइकाइया य' पृथिवी कायिक एवं अपकायिक प्रयोग परिणत पुद्गलोंमें जिस प्रकार से दो दो भेद कहे गये हैं उसी तरहसे द्विक द्विपरिणाम अथवा द्विपद भेद सूक्ष्म बादर विशेषण कृत प्रकार यावत् तेजस्कायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गलोंमें, वायुकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गलोंमें, और वनस्पतिकायिक एकेन्द्रियप्रयोग परिणत पुद्गलों में भी जानना चाहिये । तथा च तेजस्कायिक, वायुकायिक, पुढ विकाइयएगिंदिय पओगपरिणया य' ( १ ) सुक्ष्मपृथ्वी अयि येडेन्द्रिय प्रयोगપરિણત પુદ્ગલ અને (૨) બાદર પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત પુદ્દગલ. " आक्काय एगिंदियपओगपरिणया एवमेव ' पृथ्वी येडेन्द्रिय प्रयोगપરિણુત પુદ્દગલાની જેમ જ અપ્રકાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગલાના પણ સુક્ષ્મ मने जाहर सेवा मे अार ४ छे 'एवं दुप्पयओ भेदो जाव वणस्सइकाइया य' એ જ પ્રમાણે તેજ કાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદગલામા, વાયુકાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણુત પુદ્ગલેમા અને વનસ્પતિકાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત પગલામાં પણ સુક્ષ્મ અને બાદર એવા બે બે પ્રકારા પડે છે તેમ સમજવું. એટલે કે તૈજસ્કાયિક, , -
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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