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________________ २४ भगवतीम्र = जा' तद्यथा ते इमे - ' पुढविकाइयए गिदियपओगपरिणया जाव वणस्स काइयएर्गिदियपओगपरिणया - पृथिवीकायिकै केन्द्रियप्रयोग परिणताः, गावदकायिकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, तेजःकायि के केन्द्रियमयोगपरिणताः, वायुकायिकैकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, वनस्पतिकायिकै केन्द्रियमयोगपरिणताः पुद्गलाः भवन्ति, गौतमः पृच्छति - 'पुढविकाइय एगिंटियपभोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कविद्या पण्णत्ता ? ' हे मदन्त ! पृथिवीकायिकेकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खलु पुद्गलाः कतिविधाः प्रवप्ताः ? गगवानाह - 'गोयमा ! दुबिहा पण्णत्ता' हे गौतम ! द्विविधाः प्रतप्ताः 'तं जहा - तद्यथा - 'सुहुम पुढविकाइय एर्गिदियपओगपरिणया य बादरपुढविक्काय प्रकार के कहे गये हैं 'तंजहा' वे ये हैं (पुढविकाव्य एगिदिय पगपरिणयो जाव वणस्स इकाइय एगिंदियपओगपरिणया) पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत अप्रकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, तेजस्कायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, वायुकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, और वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल अव गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं 'पुढविकाय एर्गिदियपओगपरिणयाणं भंते! पोग्गला कहविहा पण्णत्ता' हे भदन्त ! पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं गोयमा ! हे गौतम ! 'दुविहा पण्णत्ता' पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल दो प्रकार के कहे गये हैं । (तंजा) वे ये हैं 'सुहमपुढविकाइय चाय प्रश्ारना 'ह्या छे. ‘तंजहा' ते पांय प्रार । प्रभाठे - पुढविकाडय एर्गिदियपओगपरिणया, जाव वणस्सङकाइयएर्गिदियपओगपरिणया ' (१) पृथ्वी अयि એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત, (૨) અાચિત એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિણત, (૩) તેજ:કાયિક मेन्द्रिय प्रयोगयशिशुत, (४) वायुप्रथिङ गोडेन्द्रिय प्रयोगपरियुत, अने (4) वनश्यतिકાયિક એકેન્દ્રિય પ્રયાગપરિજીત પુદ્ગલ " ગૌતમ સ્વામીને પ્રશ્ન पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?' युगस डेटला अारना ४ह्या छे पुचिकाइ एर्गिदिय प ओगपरिणयाणं भंते ! हे लहन्त ! पृथ्वी अयिक गोर्डेन्द्रिय प्रयोगयशिशुत उत्तर- 'गोयमा' हे गौतम! 'दुविहा पण्णत्ता' पृथ्वीायि४ मेडेन्द्रिय प्रयोगपरित युगल मे अारना खा छे. 'तंजहा' ते मे अक्षरो ? या प्रमाणे छे- 'हुम पुढविकाइयएगिदियपभोगपरिणया य, वायर
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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