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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ सू.२ पुद्गलभेदनिरूपणम् भदन्त ! प्रयोगपरिणताः खलु पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह'गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! प्रयोगपरिणताः पुद्गलाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तानेवाह-तं जहा-एगिदियपओगपरिणया, बेइंदियपओगपरिणया जाव पंचिंदियपओगपरिणया' तद्यथा - एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, द्वीन्द्रियप्रयोगपरिणताः यावत् त्रीन्द्रियप्रयोगपरिणताः, चतुरिन्द्रियपयोगपरिणताः, पचेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः भवन्ति । गौतमः पृच्छति'एगिदियपओगपरिणया णं भंते ? पोग्गला कविहा पण्णता?' हे भदन्त ! पञ्चसु उक्तैकेन्द्रियादिप्रयोगपरिणतपुद्गलेषु मध्ये एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खलु पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! एकेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं पण्णत्ता' हे भदन्त! प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! प्रयोग परिणत पुद्गल पांच प्रकारके कहे गये हैं 'तंजहा' वे ये हैं 'एगिदिय पओगपरिणया, बेइंदियपओगपरिणया, जाव पंचिंदियपओगपरिणया' एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत, द्वीन्द्रिय प्रयोगपरिणत त्रिन्द्रियप्रयोगपरिणत चौइन्द्रिय प्रयोगपरिणत, ओर पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल। अव गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं एगिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता' हे भदन्त ! इन कथित पांच एकेन्द्रियादि प्रयोग परिणत पुद्गलोंमेंसे एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गये हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंचविहा पण्णत्ता' एकेन्द्रिय प्रयोग परिणतपुद्गल पांच धु an४२ना ४ा,छ? महावीर प्रभुने। उत्तर- 'गोयमा! ५ चविहा पण्णत्ता' हे गौतम! प्रयोगपति पुन पाय प्रा२ना ४ा छे त जहा' ते १२॥ २॥ प्रभा छ- 'एगिदियपओगपरिणया, वेइंदियपओगपरिणया, जाव पचिंदिय पओगपरिणया (१) मेन्द्रिय प्रयोगपरित, (२) दीन्द्रिय प्रयोगपरिणत, (3) ત્રીન્દ્રિય પ્રગપરિણુત, (૪) ચતુરિન્દ્રિય પ્રગપરિણત અને (૫) પચેન્દ્રિય પ્રગપરિણત પુદ્દલ गौतम स्वामीन। प्रश्न- 'एगिदियपओगपरिणयाणं भंते ! पोग्गला काविहा पण्णत्ता ?'D HE-त! मे पायाना मेन्द्रियाहि प्रयोगपरिणत પુલેમાંથી એકેન્દ્રિય પ્રગપરિણત પુદગલ કેટલા પ્રકારના કહ્યાં છે? ઉત્તર'गोयमा।' गौतम! 'पंचविहा पण्णत्ता' भेन्द्रिय प्रयोगपरित पुगत
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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