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________________ - प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ.६८.३ चमर आत्मरक्षकदेवविशेषनिरूपणम् ७५९ प्राणतस्य विंशतिः सहस्राणि, अच्युतस्य देश.सहस्राणि सामानिकाः, तदुक्तम'चउसही सही.खल, छच्च सहस्साओ अमुरवज्जाणं । सामाणिआ उ एए, चउंग्गुणा आयरक्खाओ॥१॥ चउरासी असीई, वावत्तरि सत्तरिय सट्ठीय पन्ना। चत्तालीसाइ, तीसा वीसा दस साहस्सा ॥२॥' इति । चतुष्पष्टिः पष्टिः खलु पट् च सहस्राणि तु अमुरवर्जाणाम् । सामानिकास्तु एते चतुर्गुणाः आत्मरक्षकाः ॥१॥ चतुरशीतिः अशीतिः- द्वासप्ततिः, सप्ततिः पटिश्व, पञ्चाशत् ; चत्वारिंशत् , त्रिंशत, विंशतिः, दशसहस्राणि ॥२॥ इति । ४० हजार, सहस्रार के तीस ३० हजार प्राणतके वीस २० हजार और अच्युत के दस १० हजार सामानिक देव है । कहा भी हैअसुरेन्द्र के सिवाय इन्द्रों के ६४ हजार, ६० साठ हजार, सामानिक देव 'होते है । और आत्मरक्षकदेव इनसे चौगुणे होते है, चौरासी हजार अस्सीहजार, वहत्तर हजार, सित्तर हजार, साठ हजार, पचासहजार, ४० चालीसहजार, तीसहजार, बीस हजार और दसहजार सामानिकदेव अनुक्रमसे शकेन्द्रसे लेकर अच्युतेन्द्रतकके इन्द्रोके होते है । तथा इनसे चौगुने आत्मरक्षक देव होते है। उद्देशकके अन्त में गौतम स्वामी भगवान के वाक्यको प्रमाणभूत मानते हुए कहते है कि 'सेवभते! सेवंभंते!' हे भदन्त ! जैसा ! आपने कहा है वह ऐसा ही है वह ચાલીસ હજાર સહસ્તારના ૩૦૦૦૦, ત્રીસ હજાર પ્રાણુતના ૨૦૦૦૦, વીસ હજાર અને અશ્રુતના ૧૦૦૦૦ દસ હજાર સામાનિક દેવે છે કહ્યું પણ છે કે-અસુરેન્દ્ર સિવાયના ઈન્દ્રોના સામાનિક દેવેની સંખ્યા અનુક્રમે ચેસઠ હજાર, સાઠ હજાર, પચાસ હજાર, ચાલીસ હજાર, ત્રીસ હજાર, વીસ હજાર, અને દસ હજાર છે. દરેક ઈન્દ્રના આત્મરક્ષક દેવેની સંખ્યા સામાનિક દેવે કરતાં ચાર ગણી હોય છે. દા. ત. 3न्द्रना मात्मरक्षा ८४०००x४=338००० सय छ. देश ने मात गौतमस्वाभी भडावा२प्रभुना वयनमा पातानी संपूर्ण श्रद्धा प्र४८ ४२ता छ 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! 3 महन्त ! मापे मा विषयk२ प्रतिपान यु त यथार्थ छे.
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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