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________________ मण्डितपुरी आरमारम संरतस्प भनगारस्य ईपर्यासमितस्य यान-गम प्रसारिमा, आपुरतं गच्छत: मायुक्तं विएतः आयुगलं निपीदतः आयुस लवर्तयमानस्य, आयुक्तं ययमतिपद-फम्पल-पादमोग्छनं गृहानस्य, निसिपमाणस्य, यावत्-चक्षुः पक्ष्मनिपातमपि पिमाप्रा, यक्ष्मा, ईर्यापयिकी क्रिया क्रियते, सा प्रथमसमयपदस्पृष्टा द्वितीयसमययेदिता, हतीयसमयनिर्जरिता, सा बदा, स्पृष्टा, शीघ्र ही पानीके ऊपर आ जाती है। (एवामेव मंडियपुत्ता ! अनता संधुदस्स) इसी तरह से हे मंदितपुत्र ! आत्मा बारा आत्मामें संकृत पने-निमग्न पने हुए (ईरिया समियस्स जान गुनयंभयारियस्स, आउत्तं गच्छमाणस्स, आउत्तं चिट्ठमाणस्स, आउत्तं निसीयमाणस्स, आउ तुगढमाणस्स, आउत्तं वत्यपडिग्गह-कंपल-पायपुच्छण गेण्हमाणस्स मिक्खियमाणस्स अणगारस्स) ईर्यासमित यावत गुप्तब्रह्मचारी, तथा उपयोगसहित गमन करनेवाले, उपयोगसहित स्थिति करनेवाले, उपयोगसहित वैठने वाले, उपयोगसहित करवट बदलने वाले, उपयोग सहित वस्त्र, पात्र, कम्पल पादप्रोग्छनको उठानेवाले, धरनेवाले अनगार की (जाव चक्खुपम्हनिवायमवि वेमाया सुहमा ईरियाबहिया किरिया फजई) यावत् चक्षुका उन्मेप निमेपादि स्पन्दन (चलना) रूप क्रिया भी उपयोगसहित ही होती है। तथा-विमात्रावाली सूक्ष्म ईर्यापधिकी क्रिया भी उपयोगपूर्वक ही होती है। (सा पढमसमययद्धपुट्ठा, वितियसमयवेइया, तइयसमयनिजरिया) वह ई-पथिक छ. (एवामेव मंडियपुत्ता। अत्तत्ता संवुडस्स) भडितपुर मे प्रभार, मात्मा द्वारा मामामा संत मनेसा-निभान नेता, (ईरियासमियस्स जाव गुत्तभयारियस्स, आउत्तं गच्छमाणस्स, आउत्तं चिट्ठमाणस्स, आउत्तं निसीयमाणस्स, आउत्तं तुयठमाणस्स, आउत्तं वत्यपडिग्गह-कंबलपायपुच्छणं गेण्डमाणस्स णिक्खिमाणस्स अणगारस्त) ध्यासाभतथा सन गुप्तप्रायारी पर्यन्तना.गुजी વાળે, ઉપગ સહિત ગમન કરનાર, ઉપયોગ સહિત સ્થિતિ કરનાર, ઉપગ સહિત બેસનાર, ઉપયોગ સહિત પડખું બદલનાર, ઉપયોગ સહિત વસ્ત્ર, પાત્ર, કમ્બલ અને पानन ना२ भने भूना२ माएगानी (जाव चक्खपम्हनिवायमवि माया महमा ईरियावहिया किरिया कज्जइ) मामन भारवाना या પર્યન્તની સઘળી ક્રિયાઓ ઉપચાગ સહિત જ થાય છે. તથા વિમાત્રાવાળી પરિમાણુરહિત सहमपिथिही या पयागपू४४ थती जाय . (सा पढमसमयबद्धपट्टा, वितियसमयवेड्या, तइयसमयनिजरिया). ते पिथि: या प्रथम समयमा
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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