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________________ १०३ १०४ १०५ १०६ १०७ १०८ १०९ ११० १११ ११२ ११३ ११४ ११५ ११६ ११७ ११८ ११९ .१२० १२१ १२२ १२३ १२४ १२५ ११ परिचारणा के स्वरूपका निरूपण योग स्वरूपका निरूपण आरम्भादिकरणका और क्रियान्तके फलके स्वरूपका निरूपण गुप्ति और दण्डके स्वरूपका निरूपण और प्रत्याख्यानके स्वरूपका निरूपण वृक्ष के द्रष्टान्त से पुरुष के स्वरूपका निरूपण तिर्यच - जलचर - स्थलचर - खेचरकी त्रिविधताका निरूपण नैरयिकादिकों की लेश्याका निरूपण ज्योतिष्कों के चलन प्रकारका निरूपण उत्पातरूप लोकान्धकारादिका निरूपण धर्माचार्यादिकों के अशक्य प्रत्युपकारित्वका निरूपण धर्म के भवच्छेद में कारणताका निरूपण कालविशेषका निरूपण yah धर्मका निरूपण दण्डक सहित जीवधर्मका निरूपण योनि स्वरूपका निरूपण तीर्थका निरूपण कालधर्मका निरूपण वादर तेजस्कायादिकों के स्थितिका निरूपण क्षेत्रविशेपके स्वरूपका निरूपण व्रतरहितोंके और व्रतसहितोंके उत्पत्तिका निरूपण देव शरीरका मान (नाप) का निरूपण देवके शरीर वृद्ध तीन सूत्रका निरूपण समाप्त ५७०-५७४ ५७४ -५८३ ५८३-५८९ ५९०-५९३ ५९३-५९६ ५९६-६०३ ६०३-६१० ६११-६१४ ६१४-६१७ ६१७-६२६ ६२६-६४३ ६४३-६४६ ६४७-६४८ ६४८-६५३ ६५३-६५५ ६५६-६६३ ६६४-६६६ ६६७-६७२ ६७३-६७७ ६७८-६८१ ६८२–६८६ ६८६-६८७ ६८८-६८९
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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