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________________ ७६ ७७ ७५ ७९ ८० ८१ ८२ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ૮૮ ८९ ९० ९१ ९२ ९३ ९४ ९६ ९६ ९७ ९८ ९९ १०० १०१ १०२ १० कालकेव्यञ्जक ज्योतिष्कोंका निरूपण जम्बूद्वीपकी वेदिकाका निरूपण द्वीपसमुद्र के इन्द्रका निरूपण दूसरे स्थानका चौथा उद्देशक चौथे उद्देशककी अवतरणिका समयादिका निरूपण ग्रामादि वस्तु विशेषका जीवाजीवरूपका निरूपण वन्धका निरूपण आत्मा निर्वाण (मोक्ष) का निरूपण केवल प्रज्ञप्त धर्मलाभका निरूपण पल्योपम सागरोपमका निरूपण tarah स्वरूपका निरूपण असिद्ध जीवोंके स्वरूपका निरूपण प्रशस्त - अप्रशस्त मरणका निरूपण लोभ स्वरूपका निरूपण बुद्ध - मृढ आदि जीवोंका निरूपण ज्ञानावरणीयादि कर्मों के द्वैविध्यका निरूपण मूर्च्छाके स्वरूपका निरूपण आराधना के स्वरूपका निरूपण तीर्थकरके रूपका निरूपण तीर्थंकर रूपित भाका निरूपण भवन पत्यादिकों की स्थितिका निरूपण देव संबंधी वक्तव्यता जीव और पुद्गल के स्वरूपका निरूपण तीसरे स्थानका पहला उद्देशक तीसरे स्थानककी अवतरणिका इन्द्र के स्वरूपका निरूपणम् विकुर्वणा के स्वरूपका निरूपण नैरयिकों के स्वरूपका निरूपण ४३३-४३७ ४३८-४६० ४६०-४६७ ४६८ ४६९-४७९ ४८०-४८७ ४८८-४९५ ४९५-४९९ ४९९-५०१ ५०१-५०८ ५०८-५१० ५१०- ५१५ ५१६-५२६ ५२७-५२८ ५२८-५३० ५३० -५३९ ५४० ५४१-५४३ ५४३-५४५ ५४५-५४८ ५४८-५४९ ५४९-५५१ ५५२-५५७ ५५८ ५५९–५६२ ५६२-५६६ ५६७-५६९
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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