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________________ ५३ ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५९ ६० ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ आरम्भ और परिग्रह के नवासे धर्मादिलाभका निरूपण धर्मादि प्राप्ति में दो कारणोंका निरूपण दो समयका और उन्मादके द्विलका निरूपण दो प्रकार के दण्डका निरूपण दो प्रकार के दर्शनका निरूपण दो प्रकार के ज्ञानका निरूपण श्रुत चारित्र्यके द्विविधताका निरूपण पृथिव्यादि जीवके द्विविधताका निरूपण नारका दिकोंकी द्विविधताका निरूपण भव्यविशेपों के कर्त्तव्यकी द्विविधताका निरूपण . दूसरे स्थानका दूसरा उद्देशक देवनारकादिकों के कर्मवन्ध और उनके वेदनाका निरूपण नारकादिकों के गति और आगति रूप नारकादि चोवीस दण्डकोंका निरूपण अधोलोक ज्ञानादि विषयक आत्मा के द्वैविध्यका नि. दूसरे स्थानका तीसरा उदेशक तीसरे उद्देशककी अवतरणिका शब्द के द्वैविध्यका निरूपण पुगकों के संघात और भेदके कारणका निरूपण शब्दादिके आत्त - अनात्त आदि भेदोका निरूपण tah धर्मका निरूपण जीव उत्पात और उद्वर्तनादि धर्म के द्वैविध्यताका निरूपण भरत और ऐरवतादि क्षेत्रका निरूपण वरादि पर्वतों द्वैविध्यताका निरूपण पद्महृदादि के द्वैविध्यका निरूपण कालक्षण पर्याय धर्मका निरूपण २६६-२७३ २७४-२७६ २७७-२८० २८१-२८२ २८३-२८७ २८७-२९३ २९४-३०८ ३०८-३१७ ३१७-३२३ ३२४-३२८ ३२९-३२४ ३३४-३४९ ३५०-३६० ३६१. ३६२-३६६ ३६६-३७५ ३७५ ३७६-३८५ ३८६-३९७ ३९८-४०१ ४०२-४१७ ४१८-४२५ r ४२५-४३२
SR No.009307
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages706
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size41 MB
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