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________________ ३० नादरूपाय सूक्ष्माय चैतन्यव्यक्तिहेतवे । प्रमादत्यागसिद्ध्यर्थं नमस्काराय मे नमः । । १२ ।। व्यक्ति के चेतनता का हेतु, सूक्ष्म तथा नादरूप नमस्कार महामन्त्र को प्रमाद (आलस्य) त्याग की सिद्धि के लिए मैं नमन करता हूँ ।। १२ ।। महाशक्तिसमावेशात्सामरस्यप्रदायिने । अभेदध्यानसिद्ध्यर्थं नमस्काराय मे नमः ।। १३॥ महाशक्ति के समावेश से साम्यभाव को देनेवाले इस महामंत्र नमस्कार को ध्यानलीनता के लिये नमस्कार करता हूँ ।। १३ ।। तुर्यातीतदशा या हि नादान्तादिषु पञ्चसु। जायते येन तस्मै तु नमस्काराय मे नमः । । १४॥ योगकल्पलता नाद आदि पाँच दशाओं में तुर्यातीत दशा जिसके प्रभाव से होता है उस नमस्कार महामन्त्र को नमन हो । । १४ । । आत्मज्योतिःस्वरूपाय वाग्रूपाय प्रतिक्षणम् । वाच्यवाचकसम्बन्धान्नमस्काराय मे नमः ।। १५ ।। आत्मा के ज्योतिस्वरूप तथा प्रतिक्षण वाच्य - वाचक सम्बन्ध से वाग् रूप नमस्कार महामन्त्र को मेरा नमस्कार है ।।१५।। तस्मै सूक्ष्मातिसूक्ष्माय वाक्तत्त्वतन्तवे मुदा । सर्वदा सर्वभावेन नमस्काराय मे नमः ।।१६।। उस सूक्ष्मातिसूक्ष्म वाक् तत्त्व के तन्तुभूत नमस्कार महामंत्र को प्रसन्न चित्त से हर समय सर्वभाव से नमन करता हूँ। । १६ ।। शुद्धचैतन्ययुक्ताय प्रशमामृतदायिने । संसारे साररूपाय नमस्काराय मे नमः ।।१७।। इस संसार में साररूप, शुद्ध चैतन्य (ज्ञान) से युक्त नमस्कार महामन्त्र को मैं शान्तिरूप अमृत की सिद्धि के लिए नमस्कार करता हूँ ।। १७ ।।
SR No.009267
Book TitleYogkalpalata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirish Parmanand Kapadia
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2015
Total Pages145
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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