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________________ ऊँ णमोकार महामंत्र विधान (श्री पन्नालाल शास्त्री) णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं चार घातिया कर्म जयी अरहन्त देव! प्रभु तुम्हें नमन। आठों कर्म समूल नाश कर, सिद्ध निरंजन, तुम्हें नमन।। सम्यकदर्शन ज्ञान, चरण निधि के रक्षण में सतत मगन । ज्ञानमूर्ति, चारित्र शिरोमणि, गुरुवर श्री आचार्य नमन।। ज्ञानी, ध्यानी, पथ पथ दर्शक मुनि उपाध्याय शतवार नमन । वीराग पथ-अनुयायी, निर्ग्रथ दिगम्बर साधु नमन।। ऊँ ह्रीं णमोकार महामंत्र संबंधि अरहन्तसिद्धाचार्योपाध्यायसाधवः ! अत्र अवतर अत्र अवतर संवौषट् आह्वाननम्। ऊँ ह्रीं णमोकार महामंत्र संबंधि अरहन्तसिद्धाचार्योपाध्यायसाधवः ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ऊँ ह्रीं णमोकार महामंत्र संबंधि अरहन्तसिद्धाचार्योपाध्यायसाधवः ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधपनम्। लेकर शुचि निरमल नीर, प्रभु चरणन ढारों । मेटो मेरी भवपीर, जन्म जरा वारौं।। परमेष्ठी पांच महान, शिव मंगलकारी। जिन पूजत पाप पलायं, पुण्य बढ़े भारी।। 1 ।। ऊँ ह्रीं अरहंत सिद्धाचार्योपाध्याय साधुभ्यो नमः जलं निर्वपामीति स्वाहा। 764
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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