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________________ निजपरिवार सहित किन्नर के, इन्द्र जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।11। ओं ह्रीं श्री किन्नरेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। किम्पुरुषों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।12। ओं ह्रीं श्री किम्पुरुषेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। महोरगों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।13।। ओं ह्रीं श्री महोरगेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। गन्धर्षों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें। शांति प्रभ के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।14।। ओं ह्रीं श्री गन्धर्वेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अयम् निर्वपामीति स्वाहा। यक्षसुरों के इन्द्र सहित, परिवार जिनालय आवें। शांति प्रभु के पद-पंकज की, पूजा नित्य रचावें।।15।। ओं ह्रीं श्री यक्षेन्द्रेण स्वपरिवारसहितेन पादपद्मार्चिताय जिननाथाय तथैव वरप्रदाय श्री शान्तिनाथाय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 75
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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