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________________ जयमाला (बेसरी छन्द) सत्य धरम जग पूज्य बताया, सत्य श्रेष्ठ व्रत जिनधुनि गाया। सत्य धरम भवदधि को नावा सो सत धर्म जजौं शुध भावा।। सत्य धरम वर अंग प्रवीना, सत्य धरम ज्यों कंचन मीना। सत्य धर्म का सबको चाबा, सो सत धर्म जजौं शुभ भावा।। सत्य धरम का राखनहारा, सत्य धरम मुनिजनको प्यारा। सत्य शिरोमणि धर्म कहावा, सो सत धर्म जजौं शुभ भावा।। सत्य समान और नहिं मिंता, सत्य धर्म मेटे भव चिंता। सत्य करै अघतै निरदावा, सो सत धर्म जजौं शुध भावा।। सत्य धरम अपयश क्षयकारी, सत्य सुरक्षा करें हमारी। सतही का सुरनर जस गावा, सो सत धर्म जजौं शुध भावा।। सत्य सहित सब सार्थक धर्मा, तासौं कटै चिरंतन कर्मा। सत्य समान और नहिं ठावा, जो सत धर्म जजौं शुध भाव।। सत्य जगत में पूजा पावै, सत्य धरम शिव राह बतावै। सत्य जजौं सति धर्म लहावा, सो सत धर्म जजौं शुध भाव।। धर्म सरोवर में सत नीरा, सत्य धर्म खोवै सब पीरा। सत्य धर्म सों कुगति न पावा, सो सत धर्म जजौं शुध भाव।। (दोहा) सत सागर में जे रमें, ते वृष नायक जोय। जजै धर्म सतको सही, मन वच काय सोय॥ ऊँ ह्रीं श्री उत्तमसत्यधर्मांगायं पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा। ।।इति उत्तम सत्य धर्म पूजा॥ 614
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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