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________________ सुकल पूनम चैत सुहावनी, परम केवल सो दिन पावनी। सुर सुरेश नरेश जजै तहाँ, हम जजै पद पंकज को इहां।। ॐ ह्रीं चैत्र शुक्ला पूर्णिमायां केवलज्ञान-प्राप्ताय श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।। असित फागुन चौथ सु जानियो, सकल कर्म महा रिपु हानियो। गिरि समेदथकी शिव को गये, हम जजै पद ध्यान विर्षे लये।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णाचतुर्थी दिने मोक्षकल्याणक-प्राप्ताय श्रीसंभावनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।। जाप मंत्र (पुष्प से 9, 27 या 108 बार निम्न दो मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जाप करें) ॐ ह्रीं सरस्वती, लक्ष्मी, सर्वाण्हयक्ष, सनत्कुमारयक्ष, अष्टप्रातिहार्य, अष्टमंगलद्रव्य, कुसुमवर-यक्ष, मनोवेगायक्षी, पंचदशतिथिदेवता, नवग्रहदेवता, पंचक्षेत्रपालादि सचित्ताचित्तमिश्र परिकर-सहिताय शतेन्द्रपूजिताय श्रीपद्मप्रभु जिनेन्द्राय नमः मम ऋद्धिं वृद्धिं सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। ॐ ह्रीं कुसुमवरयक्ष, मनोवेगायक्षी आदि सचित्त अचित्त मिश्र परिकरसहिताय श्रीपद्मप्रभु जिनेन्द्राय नमः मम ऋद्धिं वृद्धिं सौख्यं कुरु कुरु स्वाहा। 1084
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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