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________________ गोमुख देव की आरती (इसमें किसी भी देवी-देव का नाम लेकर उनकी आरती कर सकते हैं) ॐ जय गोमुख स्वामी, स्वामी जय गोमुख स्वामी मंगलकारक, दुःखनिवारक, विघ्नहरण नामी।।ॐ.॥टेक.।। ऋषभदेव के शासन यक्ष हो, जिनपद के सेवी, धर्म प्रभावन तत्पर, सेवा हित यह भी।।ॐ जय......॥१॥ देव, शास्त्र, गुरु आयतनों की रक्षा सदा करें, पीर पड़े जब प्रभु भक्तन पे, उनकी पीर हरें।।ॐ जय......॥२॥ रोग, शोक, भयनाश्नाकारी, मंगलकर्ता हो, भूत, प्रेत, दुख-दारिद नाशक, संकट हर्ता हो।।ॐ जय......॥३॥ __ धनअर्थी धन की इच्छाकर धनसम्पति पाते, सुतअर्थी उज्ज्वल कीर्तीयुत संतति को पाते।।ॐ जय......॥४॥ इसी हेतु घृत दीपक लेकर, तव द्वारे लाए, लौकिक सुख के साथ-२ आध्यात्मिक सुख पाएं।।ॐ जय......॥५॥ श्रद्धा भक्ति भरे भावों से, जो द्वारे आता, 'इन्दु' पूर्ण हो सब मनवांछित, जो तव गुण गाता।।ॐ जय.......॥६॥ माता, 134
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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