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________________ चक्रेश्वरी माता की आरती तर्ज—करती हूँ तुम्हारी भक्ति............ करते हैं तुम्हारी आरति, अन्तरदीप जलेगा। चक्रेश्वरि माता का सुमिरन, दःख शोक हरेगा।। जय माँ चक्रेश्वरि, जय माँ चक्रेश्वरि।।टेक.।। आये है बड़ी दूर से, ले दर्श की आशा। मनवाच्छित पूरा होता, हरती सब असाता।। तेरे भक्त खड़े तेरे द्वारे, उद्धार तो होगा। चक्रेश्वरि माता.......जय माँ.......॥१॥ हे ऋषभदेव की शासन देवी, अरज मेरी सुन लो। हे गोमुख यक्ष की प्रियकारिणि, मेरी मनवांछा पूरो।। सच्ची श्रद्धा जब होगी, तब ही कार्य बनेगा। चक्रेश्वरि माता.......जय माँ.......॥२॥ हमने सुना जो जीव, तेरे द्वार पर आता। धन, पुत्र, पौत्र अरु सम्पति पाकर, सुखमय हो जाता।। घर, ग्राम, नगर अरु देश सदा खुशहाल रहेगा। __चक्रेश्वरि माता.......जय माँ.......॥३॥ ये तो सांसारिक सुख हैं माँ, आध्यात्मिक सुख दे दो। आत्मा हो निर्मल शीघ्र हमारी, ऐसी शक्ती दो।। माँ “इन्दु'' आश यह सबकी, वह सुख शीघ्र मिलेगा। चक्रेश्वरि माता.......जय माँ.......॥४॥ 135
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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