SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 594
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयमाला अहिक्षेत्र की पावन भू पर पूजन करके सुख पाऊँ। पार्श्वनाथ की पवित्र जीवन-गाथा भाव-सहित गाऊँ।1। मति-श्रुति-अवधि ज्ञान के धारी तीन लोक के रखवारे। आठ वर्ष की लघु वय में ही तुमने अणुव्रत स्वीकारे।2। ठुकराये तुमने विवाह के मोदमयी प्रस्ताव अनेक। राज्य-मोह वस्त्राभूषण तज तुमने तप धारा सविवेक।3। भव्य भवना द्वादश भाई उर में दृढ़ वैराग्य किया। नमः सिद्धेभ्य कहकर तुमने पंचमुष्ठि कचलोच किया।4। इन केशों को रत्न पिटारे में रख हुआ इन्द्र हर्षित। पंचम क्षीरोदधि सागर में किया प्रवाहित विनय-सहित।5। अट्ठाईस मूलगुण धारे उत्तर गुण चौरासी लाख। पंचाचार त्रयोदश-विधि-चारित्र परम पावन विख्यात।।6।। विचरण करते एक दिवस आ पहुँचे अहिक्षेत्र वन में। आत्म-ध्यान में लीन हुए निज-स्वभाव भजते मन मे।7। पूर्व जन्म का बैरी कमठ ज्योतिषी-सुर संवर आया। देख तपस्या लीन आपको पूर्व बैर उर में छाया।8। दस भव बैर नहीं छोड़ा यह क्रोध कषाय महादुःखमय। पर तुमने उर में समता धर पाया अनुपम पद सुखमय।9। पहले भव मरुभूति हुए तुम कमठ भ्रात ने प्राण लिये। दूजे में ही वज्रघोष गज श्रावक के व्रत धार लिये।10। कुक्कट सर्प कमठ बन आया डसकर पंचम नर्क गया। तीजे भव तुम सहस्रार पाया साता का स्रोत नया।11। चौथे भव तुम रश्मिवेग विद्याधर बन व्रत ग्रहण करे। कमठ क्रूर ने अजगर होकर बैर किया फिर प्राण हरे।12। अच्युत स्वर्ग गये पंचम भव उसका षष्टम नर्क पतन। तुम षष्टम भव बज्रनाभि चक्री हो मुनिपद किया ग्रहण।13। कमठ कुरंग भील बन आया बहु उपसर्ग किये आकर। 594
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy