SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 593
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वाराणसी नगर के अधिपति अश्वसेन गृह जन्म लिया। माता-वामा अति हर्षायी तिहुँ जग ने आनन्द किया।। जन्म-समय सुरपति ने सुमेरु गिरि पर ले जाकर अभिषेक किया। पौष कृष्ण एकादशी को जन्मोत्सव पर नृत्य किया।। ऊँ ह्रीं पौषकृष्णा-एकादश्यां जन्ममंगल-मंडिताय श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। भव-तन-भोगों से विरक्तिमय जब तुमको वैराग्य हुआ। लौकान्तिक देवों के द्वारा धन्य-धन्य जयनाद हुआ।। तीस वर्ष की अल्पायु में जन्म-दिवस दीक्षा धारी। पंच महाव्रत धारे वन में हे प्रभु! बाल-ब्रह्मचारी।। ऊँ ह्रीं पौषकृष्णा-एकादश्यां तपोमंगल-मंडिताय श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। हुए तपस्या लीन लिये उपवास षष्ठ मंगलकारी। गुल्मखेट में धन्य नृपति-गृह किया पारणा तप धारी।। अहिक्षेत्र की पुण्य धरा पर तुमने केवलज्ञान लिया। चैत्र कृष्ण की भव्य चतुर्थी को प्रभु पद-भगवान् किया।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-चतुर्थ— ज्ञानसाम्राज्य-प्राप्ताय श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। देश-देश में कर विहार प्रभु फिर सम्मेदशिखर आये। कूट सुवर्णभद्र से तुमने चउ-अघातिया विनशाये।। हुए निरंजन निर्विकार पावन मंगल निर्वाण हुआ। श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन परम मोक्षकल्याण हुआ। ऊँ ह्रीं श्रावणशुक्ला-सप्तम्यां सम्मेदशिखरस्य सुवर्णभद्रकूटात् मोक्षमंगल-मंडिताय श्रीपार्श्वनाथ-जिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 593
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy