SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 295
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धवला उद्धरण 290 196 रासिविसेसेणवहि रूणिच्छागुणिदं रूसइ णिंदइ अण्णे रूसदि जिंददि अण्णे रोहणो बलनामा च रौद्रः श्वेतश्च मैत्रश्च 258 75/3 10/10 4/16 203/1 13/4 12/4 64 111 111 121 85 190 लद्धविसेसच्छिण्णं लद्धीओ सम्मत्तं लद्धंतरसंगुणिदे लिंगत्तियं वयणसमं लिंपादि अप्पीकरीरदि लेस्सा य दव्वभावं लोगागासपदेसे लोगागासपदेसे लोगागासपदेसे लोगो अकट्टिमो खलु लोयस्स य विक्खंभो लोयायासपदेसे 26/3 8/5 27/3 120/9 94/1 243/2 23/3 3/11 2/13 32 714 203 211 101 101 109 8/4 4/4 170 38 वइसाहजोण्णपक्खे वत्तावत्त पमाणं जो वत्तीसमट्ठदालं वत्तीस सोलस चत्तारि वत्तीसं सोहम्मे वत्थणिमित्तं भावो वयणेहि वि होऊहि 34/9 113/1 43/3 37/3 10/4 228/2 214/1 89 88 107
SR No.009235
Book TitleDhavala Uddharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size524 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy