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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साव सोनानां रे सांकलां, पहेरण नवा नवा वाघा; धोलुं रे वस्त्र एना कर्मनुं, ते तो शोधवा लाग्या. एक.३ चरू कढाइयां अति घणां, बीजा- नही लेखं; खोखरी हांडी एना कर्मनी, ते तो आगल देखुं. एक.४ केनां छोरू ने केनां वाछरू, केनां माय ने बाप; अंतकाले जावू झजीवनेट एकलुं, साथे पुण्य ने पाप. एक.५ सगी रे नारी एनी कामिनी, ऊभी डगमग जवे; तेनुं पण कांइ चाले नहीं, ध्रुसके ध्रुसके रूवे. एक.६ व्हाला ते व्हालां शुं करो, व्हालां वोलावी वलशे; व्हाला ते वननां लाकडां, ते तो साथे ज बलशे. नहि त्रापो नहि तुंबडी, नथी तरवानो आरो; उदय रतन मुनि इम भणे, प्रभु मने भवजल तारो. एक.८ वैराग्यनी सन्झाय तन धन जोबन कारमुंजी रे, कोना मात ने तात; कोना मंदिर माळियांजी रे, जेसी स्वप्ननी वात. सौभागी श्रावक! सांभळो धर्म सज्झाय. फोगट फांफां मारवाजी, अंते सगुं नहिं कोई; घेबर जमाई खाई गयोजी, कुटाई गयो कंदोई. सौ० २ पाप अढार सेवीनेजी, लावे पैसो एक; एक.७ ३१ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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