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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रभु दान संवत्सरी आपे रे, जगनां दारिद्र दुःख कापे रे; भव्यत्व पणे तस स्थापे.....मल्लि.३ सुरपति सघला मली आवे रे, मणि रयण सोवन वरसावे रे; प्रभु चरणे शीश नमावे....मल्लि.४ तीर्थोदक कुंभा लावे रे, प्रभुने सिंहासन ठावे रे; सुरपति भगते नवरावे. .मल्लि.५ वस्त्राभरणे शणगारे रे, फूलमाला हृदय पर धारे रे; ___ दुःखडां इंद्राणी उवारे. .मल्लि.६ मल्या सुर नर कोडा कोडी रे, प्रभु आगे रह्या कर जोडी रे; __ करे भक्ति युक्ति मद मोडी..मल्लि.७ मृगशिर शुदिनी अजुआली रे, एकादशी गुणनी आली रे; ___ वर्या संयम वधु लटकाली रे. मल्लि.८ दीक्षा कल्याणक एह रे, गातां दुःख न रहे रेह रे; लहे रूप विजय जस नेह...मल्लि.९ एकादशी- स्तवन महावीर जिनवरे उपदिश्युं, एकादशी तप बेशरे; कृष्णे आराधन आदर्यु, टाळवा राग ने द्वेष रे.... महावीर० १ १८९ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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