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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरपति! अर दीक्षा नमि नाण, मल्ली जन्म व्रत केवली; नरपति! वर्तमान चोवीशी मांहे, कल्याणक कह्यां वली.......७ नरपति! मौन पणे उपवास, दोढसो जपमाला गणो; नरपति! मन वच काय पवित्र, चरित्र सुणो सुव्रत तणो.....८ नरपति! दाहिण धातकी खंड, पश्चिम दिशि इक्षुकारथी; नरपति! विजय पाटण अभिधान, साचो नृप प्रजापालथी....९ नरपति! नारी चन्द्रावती तास, चन्द्रमुखी गज गामिनी; नरपति! श्रेष्ठी शूर विख्यात, शियल सलीला कामिनी....१० नरपति! पुत्रादिक परिवार, सार भूषण चीवर धरी; नरपति! जाये नित्य जिनगेह, नमन स्तवन पूजा करी....११ नरपति! पोषे पात्र सुपात्र, सामायिक पौषध करे; नरपति! देववंदन आवश्यक, काल वेलाए अनुसरे. ........ १२ एकादशी तिथि स्तवन पंचम सुर लोकना वासी रे, नव लोकांतिक सुविलासी रे; करे विनति गुणनी राशि. मल्लि जिन नाथजी व्रत लीजे रे, भवि जीवने शिवसुख दीजे.१ तमे करुणा रस भंडार रे, पाम्या छो भवजल पार रे; सेवकनो करो उद्धार...मल्लि.२ १८८ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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