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________________ www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३३ नाम तो सन्तोषदास पल में झलक उठे गम्भीर है नाम सो तो लोकांने लड़ावे है । शोभाचन्द नाम सो तो कुशोभा करत नित प्यारचन्द नाम खार जग में वसावे है कहै कवि नाथूलाल नाम के हवाल सुनो गुण और नाम साथ विरला ही पावे है ॥ कस्तूरी है नाम जामे बास नहीं हींगदू की रूपी बाई नाम रूप काग से सवायो है नाम है जड़ाव पास नहीं है सोनारो तार राजीबाई नाम राखे थोबड़ो चढायो है । चाँद बाई नाम सो तो काजल सू काली दीसे स्यारणी बाई नाम जन्म राड़ में गमायो है कहै कवि नाथूलाल गुण बिना नाम सो तो श्वान हू के अंग पै सुगन्ध हो लगायो है ॥ हिन्दी की कहावत है : "आँखों का अन्धा नाम नयनसुख !" हमें चाहिये कि कम से कम अपने नाम का लिहाज करके उसके अनुरूप गुण तो धारण करने का प्रयास करें ही, जिस से नाथूलाल जैसे कवियों को हँसी उड़ाने का मौका न मिले। गुण का विलोम दोष है। दोष का प्रवेश होते ही गुण गायब हो जाते हैं । यह बहुत बुरी बात है। एक आदमी जंगल में भटक गया । उसे मार्ग दिखाने के लिए चार औरतें मिलीं। For Private And Personal Use Only
SR No.008725
Book TitleMitti Me Savva bhue su
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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