SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 389
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी प्रेम का आकर्षण सबकी आत्माओं को. यूरोप के अन्दर एक बहुत बड़ा सन्त हुआ. एक जमाना था. उसका इतना प्रभाव यूरोप के अन्दर, वहां के चाहे कैसे भी व्यक्ति हों परन्तु उसके लिए तो वे अर्पित थे. ऐसा उनका जीवन था. ऐसा उसका मधुर सुन्दर कार्य था. जहां वह रहता था, रहने का स्थान इतना सुन्दर बनाया, परन्तु एक भी दरवाजा उसमें नहीं रखा. सन्त ने कहा-प्रभु का दरवाजा खुला रहता है, यहां द्वार का क्या काम? कोई भी आओ, किसी भी समय आओ, प्रभु का द्वार है खुला मिलेगा. एक भी दरबाजा उसमें नहीं लगाया. कोई दीन दुखी आता और जो उसके पास साधन होता, उससे भक्ति करता. गांव के लोग उस कार्य में उसकी खुद मदद करते. रात्रि का समय था, जेल से छूटा हआ भयंकर खूनी, उसको उस दिन छोड़ दिया गया. पोलैण्ड के अन्दर, जो वहां की सबसे बड़ी जेल है, वहां से उसको मुक्त किया गया. शाम का समय था, उसने सोचा मेरे पास पैसे तो हैं नहीं और यह ठण्डी रात है, देखता हूं कहीं आश्रय मिल जाए तो एक रात निकाल लू, तो सुबह में अपने गांव चला जाऊं. उस व्यक्ति ने दर्जनों खून कर दिए थे. डाक्टरों ने अभिप्राय दिया था, यह बड़ा खतरनाक व्यक्ति है, कभी भी यह लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है, परन्तु कायदा है, कायदे के आगे उनको छोड़ देना पड़ा. जिस रात वह छूटा भयंकर ठण्डी रात थी. जहां गया, उसे तिरस्कार के सिवाय स्वागत तो कहीं नहीं मिला. बड़ा सच्चा बोलने वाला था. यह उसमें बहुत बड़ा गुण था, जो हकीकत है कह देता. तो जहां गया, लोगों ने पूछा-कहां से आया? सैन्ट्रल जेल से आया हूं आज ही छूटा हूं और खून की सजा भोग कर आया हूं. लोग पहले ही घबरा जाते, दरवाजा बन्द. कहीं आश्रय नहीं मिला. गांव के एक बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ऐसी जगह जाओ, जहां तुमको हमेशा के लिए आश्रय मिल जाएगा, तुम्हारा जीवन निर्वाह हो जाएगा. तुम्हारा जीवन मंदिर चर्च बन जाएगा. जाओ वहां. रात्रि को साढ़े बारह बजे वहां पहुंचा. भयंकर ठण्डी. जाते ही वह वहां देखता है तो द्वार खुला है. अन्दर गया. जो सन्त पुरुष वहां सोए थे, उनको जगाया कि स्वामी मुझे यहां रात्रि में रहना है. इसीलिए तो मैंने यह स्थान बनाया है. दरवाजा इसीलिए मैंने नहीं रखा, आप जैसे मेहमानों के लिए, आपके स्वागत के लिए यह मकान है. आप मुझे जानते हैं? कोई व्यक्ति रात्रि में आया और आपको जगाकर मेरा परिचय दिया तो हो सकता है आप मुझे यहां से निकाल दें, मैं खूनी हूं, बहुत लम्बी सजा भोगकर के जेल से छूटा हूं. पहले ही परिचय देता हूं ताकि मेरी रात न बिगड़े. ____ मैं यहां किसी के जीवन के विषय में जानने नहीं आया, न मुझे जानने में रस है, दि 360 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy