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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ ] वचन योग खड़ा हो जाता है । 'नमो अरिहंताणं' पद के उच्चारण के साथ ही समव. सरण में विराजमान धर्म देशना देते हुए परमात्मा का साक्षात् दर्शन हो जाता है। शब्द को ब्रह्म कहा जाता है। सातों नयों में शब्द नय का स्थान अग्रणी है । व्याकरण का प्राधार भी शब्द पर ही निर्भर है। शब्द की शक्ति अचित्य, भाव अगम्य, प्रकथ्य तथा प्रवरणनीय है। बादशाह हुमायू बेहराम खाँ के साथ बातचीत कर रहा था। बातचीत करते-करते बेहराम खाँ ने अाँख बन्द करली, तब हुमायू ने पूछा, "क्या प्राप स्वप्न देख रहे हैं ?" बेहराम खाँ ने कहा, 'मेरे बुजुर्गों ने मुझे आदेश दिया है कि तीन स्थानों पर संयम रखना चाहिये । (१) साधु से बात करते समय मन का संयम रखना चाहिये। (२) बादशाह से बात करते समय आँख का संयम रखना चाहिये तथा (३) जन समूह से बात करते समय वाणी का संयम रखना चाहिये। बात करते हुए अपने कथन में गर्व का पुट नहीं होना चाहिये। एक कलाकार ने दो वस्तुएँ बनाई, एक ढ़ाल और एक तीर । वह लोगों से कहता था, "ससार में ऐसी कोई वस्तु नहीं जो मेरे तीर को भेद सके । संसार में ऐसा कोई शस्त्र नहीं जो मेरी ढाल को छेद सके।" तब किसी ने कह दिया, "यदि आपका तीर ही आपकी ढ़ाल को छेदना चाहे तो ? यह सुनकर बेचारा कलाकार निरूत्तर हो गया। सच है, व्यक्ति अपनी प्रशंसा में अपना विवेक खो बैठता है। एक व्यक्ति अपने साथियों में अपनी बढ़ाई हांक रहा था, "मैं वहां सभा में गया था। संघ वालों ने कहा आगे पधारो। मेरे मना करने पर भी मुझे आग्रह पूर्वक आगे बैठाया। मुख्य वक्ता में मेरा नाम लिख दिया और हाथ पकड़कर माइक पर खड़ा कर दिया। मैंने भी ऐसा घुमाघार भाषण दिया कि तालियों की गड़गड़ाहट हो गई। लोगों ने कहा प्रापका भाषण क्या था, बिजली की चकाचौंध थी।" इतने में ही उसी का एक साथी बोल पड़ा, "यार मैं भी साथ में ही था। याद नहीं, तीन घटे बाद एक गिलास पानी मिला था।" उनके सामने ही उनकी प्रशंसा का खंडन हो गया। । अतः समझदार व्यक्ति को संयम रखकर बोलना चाहिये तथा अपने मुह मियां मिठ्ठ नहीं बनना चाहिये। For Private And Personal Use Only
SR No.008690
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherBuddhisagarsuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size8 MB
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