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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९४८ श्री देवचंद्रजीकृत छटक प्रश्नोत्तर. तो ते समयनो क्षेत्र कहां मानीये, जिहां मानीये तिहां एक प्रदेश मध्ये रह्यो जोइये. तेवारे सर्वलोक अलोक मध्ये उत्पादव्ययनी वर्तना किम थाये ? तेमाटे पंचास्तिकायनी वर्तना ते कालज मान्यो पूरवे कही नवजीरणता एपण कालनोलक्षण स्थूल छे. नवजीरणधर्म खंधनो छे अने कालनी वर्तना सर्वद्रव्य मध्ये छे ते पुद्गलपरमाणु तो नवजीरण थतो नयी तेवारे ए व्यवहारकालनी अपेक्षाए जाणवो, तथा नवजीरणता पुगलपरमाणुनोपर्याय छे इम लिख्यो ते ए परमाणु तो एकलानो पर्याय छे नही, खंधनो उत्पन्न पर्याय छे, जिम शब्दपणो छे तिम छे, अत्र तेहने एम क्रे तमाटे वर्त्तमान समय एक छे ते सर्व जीव पुद्गलादिकमें वर्ते छे, ते माटे कालद्रव्य अनंतो कहेवाय छे, जो अणुकादिक कोइ काल मानीये तो "जीवापुग्गलसमवा" ए गाथा द्रव्यानुयोगना अल्पबहुत्वनी भगवती टीकामध्ये छे. तथा पन्नत्रणासत्रे " एसिणंभंतेतीणंपुग्गलाणं" इत्यादि प्रश्नसूत्रे उत्तर कह्यो छे " सबथोवाजीवा पुग्गलाअनंतगुणा अद्धासमया अनंतगुणा सव्वदवाविसे साही या" ए पाठ छे, तेह जीव अनंता, तेही पुद्गल अनंतगुणा, तेहथी कालसमयअनंतगुणा, ते सर्वथी काल अनंतगुणो, द्रव्यवर्त्तना गवेखीये तोज पूरखे ( पालवे ) जो काल भिन्नद्रव्य मानीये तो पूखे जे कारणे जे एक आकाशप्रदेशे अनंताकाल द्रव्य मानीये तो पूखे जे कारणे जे एक आकाशप्रदेशे अनंताकाल द्रव्य मानीये तो अस्तिकायपणो वई (टळी ) जाये, अने एक आकाशप्रदेशे एकएक काल द्रव्य मानीये तो असंख्यातो द्रव्य थाय, पण अनंतो न थाय तेवारे सूत्रनो अल्पबहुत्व किम मिले ? तेमाटे जीव तथा पुद्गल धर्म अधर्म आकाशनीवर्त्तना मान्यांज १६ For Private And Personal Use Only
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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