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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कर्म्मग्रन्थस्य वार्थः ७०१ स्त्रीवेदनी स्थिति सातइयो दोढ भाग, नामकर्ममध्ये देवगति देवानुपूर्वीनी एक हजार भाग नरकगति, नरकानुपूर्वीनी सातइया बे हजार भाग, मनुष्यगति, मनुष्यानुपूर्वीनी दोढ भाग एकेन्द्री जाति, पंचेन्द्री जातिनी जघन्य स्थिति सातइया बे भाग, विकलत्रिकनी सातइया पोणा बे भाग झाझेरा, औदारिक शरीर, औदारिक उपांगनी बे भाग, वैक्रिय शरीर वैक्रिय उपांगनी बे हजार भाग, तैजसकार्मणना बे भाग, प्रथम संघयण प्रथम संस्थाननी सातइयो १, एक भाग, बीजो संघयण बीजा संस्थाननी स्थिति ३५ सीया छ ६ भाग, त्रीजो संघयण बीजो संस्थान ३५, सीया ७, भाग चोथे संघयणे चोथे संस्थाने पांत्रीसीया (३५ या ) ८, भाग पांचमो संवयण पांचमो संस्थानना पांत्रीसीया नव ९ भाग, छठ्ठो संवयण, छट्टो संस्थानना पांत्रीसीया दस भाग, एटले सातइया बे भाग श्वेतवर्ण मधुररसनी १, भाग पीतवर्ण खाटारसनी सवा भाग शतावर्ण कसायला रसनी दोढ भाग नीलोवर्ण, कडयो रस पोगाबे भाग, काळोवर्ण, तीखारसनी बे भाग सातइया, सुरभिगंध, मृदुस्पर्श, लघुस्पर्श, स्निग्धस्पर्श, उणष्स्पर्श, नो सातइयो १, भाग शुभविहायोगतिनो जवन्य सातइयो १, एक भाग अशुभविहायोगति, पराघात, उश्वास, आतप, उद्योत, अगुरुलघु, निर्माण, उपघात, त्रस, अथिरछक, थावरनाम ए सर्वना सातइया बे भाग, आहारक शरीर, आहारक उपांगनी, जिन नामनी एक कोडाकोडी सागर केटलाएक सागरोपमना सेंकडा ओछा, सूक्ष्मत्रिकनी सातइया पोंणा बे भाग झाझेरा, थिर ५ नो सातइयो १, भाग जघन्य स्थिति जाणवी. ॥३६॥ १२९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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