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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आगमसार. ३३ माटे ए बे ज्ञान देश प्रत्यक्ष छे. बीजुं छद्मस्थज्ञान ते सर्व परोक्ष प्रमाण छे. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हवे परोक्ष प्रमाण कहे छे. मतिज्ञाननो अने श्रुतज्ञाननो उपयोग परोक्ष प्रमाण छे केमके जे शास्त्रना बलथी जाणे ते परोक्ष प्रमाण कहियें. ते परोक्ष प्रमाणना त्रण भेद छे. १. अनुमान प्रमाण, २ आगम प्रमाण, ३ उपमान प्रमाण. तेमां अनुमान एटले कोइक सहिनाण देखीने जे ज्ञान थाय. जेम घुमाडो देखीने अग्निनुं अनुमान थाय अने आगम एटले शास्त्रनी साखथी जे वात जाणियें. जेम देवलोक तथा नरक निगोद विगेरेनो विचार आगमयी जाणियें छैये ते आगमप्रमाण अने कोइक वस्तुनो दृष्टान्त आपीने वस्तुने ओलखाववी ते उपमान प्रमाण जाणवो. ए प्रमाण कला. हवे सत् असत् पक्षथी सप्तभंगी कहे छे. १ स्यात् केहतां अनेकांतपणे सर्व अपेक्षा लेइ जीवद्रव्यमां आपणो द्रव्य आपणो खेत्र आपणो काल आपणो भाव एम आपणे गुण पर्यायें जीव छे तेम सर्व द्रव्य आपणे गुणपर्यायें छे ते स्यात् अस्ति नामा पहेलो भांगो थयो . २ जे जीवमां बीजा पांच द्रव्यना १ द्रव्य २ खेत्र ३ काल ४ भाव ते परद्रव्यना गुणपर्याय जीवमां नथी एटले परद्रव्यना गुणनो नास्तिपणो सर्व द्रव्यमां छे. ए स्यात् नास्ति बीजो भांग थयो. ३ द्रव्य स्वगुणे अस्ति अने पर गुणे नास्ति ए बे भांगा एक समये द्रव्यमां छे. जेम जे समये शुद्ध स्वगुणनी अस्ति छे तेज समये परगुणनी नास्ति पण छे, माटे अस्ति नास्ति ए बेहु भांगा मेला छे ते स्यात् अस्ति नास्ति त्रीजो भांगो थयो . For Private And Personal Use Only
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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