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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डभोई (दुर्भावती ). ज्ञातिय ठकर महिराज भा० लाडु पुत्र ठ० सहसा भा० वल्हादे ठ० सालिंग भा० आसी ठ० श्रीराज भा० हंसाई ठ० सहसा भा० वाल्ही सुत ठ० वर्धमान भा० कस्तुरई ठ० धनदत्त भा० हरसाई एते आत्म श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ त्रिं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे विजयरत्नसूरिभिः ॥ ३९. संवत् १८२८ फागुन सुद २ शुक्रवासरे डभोईनगरे श्री - वृद्धशाखायां श्रीमालीज्ञातीय परिख श्री ऋषभजिनबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं पूज्य भट्टारक श्री कल्याणसागरसूरि तस्य शिष्य पुण्यसागरसूरिभिः ॥ लोढण पार्श्वनाथना देराना. ३६. संवत् १६८२ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ गुरुवासरे श्री अहिम्मदावादवास्तव्य श्री ओसवालज्ञातीय सा० श्रीवछा भार्या गोरदे सुत सा० सहस्रकिरण भार्या कुआरबाइ बाइ सोभागदे पुत्रेण सुत सा पनजी प्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीशत्रुंजयादितीर्थमहामह० पुरस्त रथयात्रासमवाप्तसंघपतितिलकेन सा० श्री शान्तिदासनाम्ना स्वश्रेयोर्थ श्रीशीतलनाथ बिंबं स्वयं कारितं प्रतिष्ठितं च तपागच्छे भट्टारक श्रीविजयसेनसूरिपट्टालंकारभट्टारक श्रीविजयदेवसूरिवारके महोपाध्याय श्रीविवेकहर्षगणिनामनुशिष्य महोपाध्याय श्रीमुक्तिसागरगणिभिः ॥ ३७. संवत् १९१० वर्षे फागुन वदि ३ शुक्रवासरे श्रीश्रीमाली ज्ञातीय ठ० फुला भा० बाइ रत्न ठा० परवत भा० बाइ लाली द्वि० भा० बाइ माणीकी प्रथमभार्यासुत धर्माणिक होब भोजा भूपति स्वकुटुंब श्रेयसे श्री आदिनाथ कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमस्पिष्फलगच्छे नायक भट्टारक श्रीगुणरत्नसूरिभिः || श्रीरस्तु For Private And Personal Use Only
SR No.008585
Book TitleJain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages330
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & History
File Size15 MB
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