SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१ ११९ अध्याय (क्रमांक अ० २१) केशरादि वैराज्यकूल प्रासाद २६४ अठाई - दशाई तल विभागोंका २५ प्रासादोंका नाम अठ्ठाई तल विभक्तिका ११ शिखर । २६७ दशाई तल विभागके १४ चौदा शिखर । श्रङ्ग श्रीवत्स मिश्रक रुचक-तिलक आलेखन केसरी श्रृंग श्रीवत्स तिलक मंजरी कट केसरी अंग सर्वतोभद्र नंदन नंदशाली नंदीश मंदिर २६७-६८ वैराज्यकूल अठाई केसरी प्रा० तथा सर्वतोभद्र प्रा. वैराज्यकूल अठाई मंदिर प्रा० तथा श्रीवत्स प्रा० २६९ वैराज्यकूल दशाई नंदन प्रा० २७२ पृवीजय प्रा. २७२-७३ वैराज्यकूल दशाई विमान प्रा० २७४ वज्रक प्रा. २७४-७६ २२ १२०-अध्याय चातुर्मुख महाप्रासाद स्वरुपम् क्षेत्रके घद विभाग-कोठा करके देवकुलिकाओं की रचना करना २७८-७९ बेतालीशाई तल विभक्ति पर चंद्रशाल प्रासाद भ्रमयुक्त शिखर २८० चतुर्मुख प्रासादने चारों ओर मंडपो-उनका तलविभाग पीठ २८२ चोबिस और बावन जिनायतनके चंद्रवक नाम जगती पद-खंड विभाग करके ८४ चौराशि जिनायतन महाधर साथ करना मंडयो मेघनाद करके नालिमंडप और २८४ आगे सिंहद्वार चतुर्मुख-मानतुङ्ग प्रासाद मध्यका चोमुख प्रासादको चारो ओर एक मंडप गवालुकासे छाद्य हो और नागर मंडोवर-मूल चोमुखको करके चारों ओर अस्सी ८. स्तंभो प्रदक्षणमें करके मध्यकी पंक्ति चोविश चैत्यकी और चारो कोण पर तेरा तेरा चैत्य करके पूरे बावन हों कोनेके अंतरसे चारों और छ: महाधर करना यह रचनाको ताराउली नाम समझना २८६ भद्रका कोठाका तीन मुखभद्रको रम्य ऐसो सुभद्रा नामकी वेदिका करनेसे उनका नाम किरणाउली समझना बावन जिनायतनमें दो मंडप आगे वेदिकाके आगे पगथी पंक्ति है। बहोतेर जीनायत बाह्य हो वेदिका युक्त मध्ये मंडप हो आगे नालिमंडप वेदिकावाला १५ भागका कर्ण २५ भद्र हो एसे स्वरुप लक्षणवाला सौभाग्यिनी नाम समझना २८९ ब्रह्मस्थानका पच्चीश खंडमें चतुर्मुख प्रासाद अंङ्गोपाङ्गोवाला करना उसके सौ खंड - कोष्ठाको मध्यमें चारो ओर मेघनाद द्वीभूमि मंडपो करना २९० बहोतेर जीनायंत नालि मंडपयुक्त करना उनमें मेरुकी रचना १९१ से • करना २८५ खंड-कोष्ठमें चार खंड मुखाने बाह्य वेदिका
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy