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________________ २०१ अथ मंडपाधिकार (मुख प्राप्रीवा मंडपके) साढ़े दस भाग करना । उसमें एक भागका राजसेनक दो भागकी वेदिका और आधे भागका आसनपर (आसरोट) करना। उसके पर चार भागका स्तंभ-आधे भागका भरणा एक भागका शरा और डेढ भागका पाट मोटा करना । इस तरह साढ़े दस भाग मंडपके उदयके कनीष्ठमानको जानना । अब मध्यमानका उदय सुनो । १०-११-१२. उनकायकसयामस्थ AN पाद ज Hin १ Birendra , - 4e | भाग...---.-" AMI त ----ध-भाग-.--.. - उपथ 30भाग माग ----11 - E अंn डागेवय -- Diary भा भाग-.- परिका * ..- ••----२-भाग-2011-.--14 नेरिका भाग ---- ....--..नामकरणीय काउ +-3दीरमग घर SA - - - PRADE Marupakammutton रबर पा मारय कनिसमान उदय आधारसम योग्य ज्यमाउस साधारभक्षम बिया ग्रास मान.ओ.स्ययति. मीठ. सांधार निरधार प्रासादके स्त्रीक मंडपका कक्षासन युक्त स्तंभादि उदय प्रमाण
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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