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________________ सर्वविशुद्धज्ञानाधिकार करूँगा । १४. मैं भविष्य में मन-काय से कर्म न तो करूँगा और न कराऊँगा । १५. मैं भविष्य में मन-काय से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । ५०९ १६. मैं भविष्य में मन - काय से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । १७. मैं भविष्य में वचन - काय से कर्म न तो करूँगा और न कराऊँगा । १८. मैं भविष्य में वचन -काय से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । १९. मैं भविष्य में वचन - काय से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । २०. मैं भविष्य में मन से कर्म न तो करूंगा और न कराऊँगा । २१. मैं भविष्य में मन से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । २२. मैं भविष्य में मन से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । ष्यामि, वाचा चेति ।२३। न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, वाचा चेति । २४। न कारयिष्यामि, न कुर्वंतमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, वाचा चेति । २५ । न करिष्यामि, न कारयिष्यामि, कायेन चेति । २६ । न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, कायेन चेति । २७ । न कारयिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, कायेन चेति । २८ । न करिष्यामि मनसा च वाचा च कायेन चेति । २९ । न कारयिष्यामि मनसा च वाचाच कायेन चेति । ३० । न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च वाचा च कायेन चेति । ३१ । न करिष्यामि मनसा च वाचा चेति । ३२ । न कारयिष्यामि मनसा च वाचा चेति । ३३ । न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च वाचा चेति । ३४ । न करिष्यामि मनसा च कायेन चेति ॥ ३५ ॥ न कारयिष्यामि मनसा च कायेन चेति । ३६ । न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि मनसा च कायेन चेति । ३७। न करिष्यामि वाचा च कायेन चेति । ३८। न कारयिष्यामि वाचा च कायेन चेति । ३९ । न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि वाचाच कायेन चेति । ४० । न करिष्यामि मनसा चेति । ४१ । न कारयिष्यामि मनसा चेति ॥ ४२ ॥ २३. मैं भविष्य में वचन से कर्म न तो करूँगा और न कराऊँगा । २४. मैं भविष्य में वचन से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । २५. मैं भविष्य में वचन से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । २६. मैं भविष्य में काय से कर्म न तो करूँगा और न कराऊँगा । २७. मैं भविष्य में काय से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा । २८. मैं भविष्य में काय से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा ।
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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