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________________ ५०८ समयसार अनुमोदन करूँगा। ३. मैं भविष्य में मन-काय से कर्म न तो करूँगा, न कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। ४. मैं भविष्य में वचन-काय से कर्म न तो करूँगा, न कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। ५. मैं भविष्य में मन से कर्म न तो करूँगा, न कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। ६. मैं भविष्य में वचन से कर्म न तो करूँगा, न कराऊँगा और न अन्य करते हए का अनुमोदन करूँगा। ७. मैं भविष्य में काय से कर्म न तो करूँगा, न कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। ट.मैं भविष्य में मन-वचन-काय से कर्म न तो करूँगा औरन कराऊँगाा ९. मैं भविष्य में मन-वचन-काय से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। समनुज्ञास्यामि, मनसा च वाचाच कायेन चेति ।१०। न करिष्यामि, न कारयिष्यामि, मनसा च वाचा चेति ।११। न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, मनसा च वाचा चेति ।१२। न कारयिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, मनसा च वाचा चेति ।१३। न करिष्यामि, न कारयिष्यामि, मनसा च कायेन चेति ।१४। न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, मनसा च कायेन चेति ।१५। न कारयिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, मनसा च कायेन चेति ।१६। न करिष्यामि, न कारयिष्यामि, वाचा च कायेन चेति ।१७। न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, वाचा च कायेन चेति ।१८। न कारयिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, वाचा च कायेन चेति ।१९। न करिष्यामि, न कारयिष्यामि, मनसा चेति ।२०। न करिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, मनसा चेति ।२१। न कारयिष्यामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुज्ञास्यामि, वाचा चेति ।२२। न करिष्यामि, न कारयि १०. मैं भविष्य में मन-वचन-काय से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। ११. मैं भविष्य में मन-वचन से कर्म न तो करूँगा और न कराऊँगा। १२. मैं भविष्य में मन-वचन से कर्म न तो करूँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करूँगा। १३. मैं भविष्य में मन-वचन से कर्म न तो कराऊँगा और न अन्य करते हुए का अनुमोदन
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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