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________________ समयसार ५०२ मिथ्या हो। २०. मैंने पूर्व में मन से जो दुष्कृत किया और कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २१. मैंने पूर्व में मन से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २२. मैंने पूर्व में मन से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो । २३. मैंने पूर्व में वचन से जो दुष्कृत किया और कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २४. मैंने पूर्व में वचन से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २५. मैंने पूर्व में वचन से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २६. मैंने पूर्व में काय से जो दुष्कृत किया और कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २७. मैंने पूर्व में काय से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २८. मैंने पूर्व में काय से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। २९. मैंने पूर्व में मन-वचन-काय से जो दुष्कृत किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ३०. मैंने पूर्व में मन-वचन-काय से जो दुष्कृत कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ३१. मैंने पूर्व में मन-वचन-कायसे जिस दुष्कृतका अनुमोदन किया, वह दुष्कृत मिथ्या हो। दुष्कृतमिति ।३२। यदहमचीकरं मनसा च वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३३। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३४। यदहमकार्षं मनसा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३५।। यदहमचीकरं मनसा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३६। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३७। यदहमकार्षं वाचाच कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३८। यदहमचीकरं वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३९। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४०। यदहमकार्षं मनसा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४१। यदहमचीकरं मनसा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४२। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४३। यदहमकार्षं वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४४। यदहमचीकरं वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४५। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४६। यदहमकार्षं कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४७ । यदहमचीकरं कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४८। यत्कुर्वंतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।४९।। ३२. मैंने पूर्व में मन-वचन से जो दुष्कृत किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ३३. मैंने पूर्व में मन-वचन से जो दुष्कृत कराया; वह दुष्कृत्य मिथ्या हो। ३४. मैंने पूर्व में मन-वचन से जिस दुष्कृत का अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो । ३५. मैंने पूर्व में मन-काय से जो दुष्कृत किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ३६. मैंने पूर्व में मन-काय से जो दुष्कृत कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो।
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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