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________________ सर्वविशुद्धज्ञानाधिकार ५०१ ८. मैंने पूर्व में मन-वचन-काय से जो दुष्कृत किया, कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ९. मैंने पूर्व में मन-वचन-काय से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १०. मैंने पूर्व में मन-वचन-काय से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। ११. मैंने पूर्व में मन-वचन से जो दुष्कृत किया, कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १२. मैंने पूर्व में मन-वचन से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १३. मैंने पूर्व में मन-वचन से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १४. मैंने पूर्व में मन-काय से जो दुष्कृत किया और कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १५. मैंने पूर्व में मन-काय से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १६. मैंने पूर्व में मन-काय से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। यदहमकार्षं, यदचीकर, वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कतमिति ।१७। यदहमकाएं, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।१८। यदहमचीकर, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।१९। यदहमकार्ष, यदचीकर, मनसा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२०। यदहमकार्षं, यत्कर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसाच, तन्मिथ्या मे दृष्कतमिति ।२।यदहमचीकर, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२२। यदहमकार्ष, यदचीकर, वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२३। यदहमकार्ष, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२४। यदहमचीकर, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, वाचाच, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२५। यदहमकार्ष, यदचीकर, कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२६। यदहमकार्ष, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२७। यदहमचीकर, यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, कायेन च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२८।। यदहमकार्षं मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।२९। यदहमचीकरं मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३०। यत्कुर्वतमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च वाचाच कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ।३१। यदहमकार्षं मनसा च वाचा च, तन्मिथ्या मे १७. मैंने पूर्व में वचन-काय से जो दुष्कृत किया और कराया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १८. मैंने पूर्व में वचन-काय से जो दुष्कृत किया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत मिथ्या हो। १९. मैंने पूर्व में वचन-काय से जो दुष्कृत कराया और अनुमोदन किया; वह दुष्कृत
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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