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________________ ३१ होना तो दूर ही रहा, ये तो तृष्णा की ज्वाला में जलाते हैं। यह शरीर भी व्याधि का मंदिर और नश्वर है। श ये बन्धुजन बन्धन ही हैं। धन दुःख देनेवाला है; क्योंकि लक्ष्मी अतिचंचल है, सम्पदायें वस्तुत: विपदायें ही हैं; अत: इन्हें यथासंभव शीघ्र छोड़ ही देना चाहिए। " ला का स्वयं ऐसा चिन्तन करते हुए और संसार की असारता का विचारकर अपने होनहार पुत्र महाबल को राज्य सौंपकर अतिबल दीक्षित हो गये । इसप्रकार अतिबल के दीक्षा ग्रहण करने के बाद महाबल ने राज्यभार | शिरोधार्य किया । महाबल दैव और पुरुषार्थ दोनों से सम्पन्न था। वह न तो अति कठोर था और न अति | कोमल । अपनी मध्यममार्ग की नीति अपनाकर उसने समस्त प्रजा को प्रेम से वशीभूत कर लिया। वह धर्म, अर्थ एवं काम - तीनों वर्गों के साथ मोक्षवर्ग या अपवर्ग को भी कभी नहीं भूलता था। उसके राज्यशासन में लोग 'अन्याय' शब्द को ही मानो भूल गये थे । ष पु रु रा 5 to h जा म हा ब ल औ राजा महाबल के चार मंत्री थे, जो राजनीति में निपुण, बुद्धिमान, स्नेही और दूरदर्शी थे। उनके नाम क्रमश: महामति, सभिन्नमति, शतमति और स्वयंबुद्ध थे । उन चारों में स्वयंबुद्ध निरीश्वरवादी जैनदर्शन का अनुयायी था, शेष तीन ईश्वरवादी, चार्वाक एवं विज्ञानाद्वैतवादी थे । इसकारण यद्यपि उनमें परस्पर मतभेद | होना स्वाभाविक था; परन्तु स्वामी के हित में अपने मतभेदों को गौण कर वे चारों ही राज्यशासन की सेवा में तत्पर रहा करते थे । इसकारण महाबल समय-समय पर उन मंत्रियों पर राज्य का उत्तरदायित्व सौंपकर वन-उपवनों में विहार कर मनोरंजन किया करते थे। जिसे आगे चलकर तीर्थंकर की महनीय विभूति एवं | यश प्राप्त होनेवाला था, वह अभी अपने पुण्य के फलस्वरूप प्राप्त न्यायोचित वैभव-सुख को भोग रहा था । तदनन्तर एक दिन राजा महाबल के जन्मदिन का मंगल महोत्सव मनाते हुए अधीनस्थ राजागण, मंत्री, मी सेनापति, पुरोहित, श्रेष्ठीवर्ग एवं अन्य अधिकारी उन्हें घेरे बैठे थे। महाराजा महाबल किसी के साथ हंसकर, किसी के साथ संभाषण कर, किसी को स्थान देकर, किसी को आसन देकर, किसी को सम्मान देकर | उन समस्त सभासदों को संतुष्ट कर रहे थे । स न क्षा सर्ग
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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