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________________ ३९२ प्रवचनसार का सार ३९३ गया कि राक्षस कौन था - राम या रावण ? उसीप्रकार समग्र प्रवचनसार पढ़ने के बाद भी शिष्य आत्मा के अन्य धर्मों को भी जानना चाहता है; अत: शिष्य ने यह प्रश्न किया कि आत्मा कौन है तथा कैसे प्राप्त होता है? ___एक वैज्ञानिक ने अपने घर में दो बिल्लियाँ पाल रखी थी, उनमें एक छोटी थी और एक बड़ी । जब उस वैज्ञानिक ने अपना मकान बनवाया तो उसने कारीगर से मकान के दरवाजे में दो छेद बनाने के लिए कहा, जिससे बिल्लियाँ आपातकाल में शीघ्रता से बाहर निकल सकें। उस कारीगर ने दरवाजे में एक बड़ा छेद कर दिया। उस वैज्ञानिक से कहा कि इसमें से दोनों बिल्लियाँ निकल जाएगी। तब वैज्ञानिक ने उस कारीगर को डाँटा और पूछा कि इसमें से बड़ी बिल्ली तो आराम से निकल जाएगी; लेकिन छोटी बिल्ली कहाँ से निकलेगी, तुमने छोटी बिल्ली के निकलने के लिए दूसरा छेद क्यों नहीं बनाया ? तो कारीगर ने कहा कि इसमें से ही छोटी बिल्ली भी निकल जाएगी और वैज्ञानिक को समझाया कि जिसमें से बड़ी बिल्ली निकल सकती है, उसमें से छोटी क्यों नहीं निकलेगी? तथा उस कारीगर ने उन दोनों बिल्लियों को निकालकर भी बताया। तब वैज्ञानिक उससे कहता है मुझे मूर्ख समझते हो, दोनों निकल तो गई; किन्तु एक के बाद दूसरी निकली, आगे-पीछे निकलने में समय लगा न और समय का महत्त्व ज्यादा है, अन्य समय में तो बिल्ली को निकलने की आवश्यकता ही नहीं है; क्योंकि एयरकंडीशन और खाने-पीने की व्यवस्था तो अंदर ही है। यह छेद मैंने आपातकाल के लिए बनवाया है, यदि कभी अंदर आग लग जाए तो बिल्लियों को निकलकर भागने के लिए यह छेद बनवाया है। उस समय एक सैकण्ड की भी कीमत होती है; एक बिल्ली निकलेगी तथा उसके बाद दूसरी बिल्ली निकलेगी, तबतक तो दूसरी बिल्ली बेहोश हो जाएगी, अग्नि से जल जाएगी। इसप्रकार वह वैज्ञानिक बहुत दिमागवाला था; लेकिन लोगों ने उसे मूर्ख घोषित कर दिया कि उनको यह समझ में नहीं आया कि एक छेद में दो बिल्लियाँ निकल सकती हैं। चौबीसवाँ प्रवचन अरे भाई ! वह वैज्ञानिक समय का महत्त्व समझता था; इसलिए उसने दो छेद बनवाने के लिए कहा था। जो लोग अग्नि पर चलते हैं तथा जलते भी नहीं हैं, उसमें 'समय' का ही वैज्ञानिक कारण है। उसमें नियम यह है कि यदि कोई व्यक्ति इतने समय तक अग्नि पर रहेगा तो नहीं जलेगा; लेकिन इससे ज्यादा समय रहेगा तो जलेगा। मान लें कि एक सैकण्ड तक पैर अग्नि पर रहे तो खाल नहीं जलती है; लेकिन यदि एक सैकण्ड से अधिक देर तक पैर अग्नि पर रहेगा तो खाल जल जाएगी। जो लोग नाचते हुए अग्नि के ऊपर से निकलते हैं तो वे अपना पैर कम समय तक ही अग्नि पर रखते हैं; फिर उठा लेते हैं, इसलिए उनका पैर नहीं जलता है; किन्तु यदि वे ज्यादा समय तक अपना पैर अग्नि पर रखे रहे तो उनके पैर जल जाएंगे। यदि कोई उन नाचनेवालों को देखकर अग्नि पर खड़ा हो जाय तो वह जल जाएगा; क्योंकि नाचने वाले तो समय से पहले ही पहला पैर उठा लेते हैं तब दूसरा रखते है। । यदि अग्नि की लपट पर से जल्दी हाथ निकाल दिया जाय तो हाथ नहीं जलेगा; लेकिन यदि ज्यादा देर तक हाथ रखा जाएगा तो हाथ जल जाएगा। इसीप्रकार उस छेद में से बड़ी बिल्ली तो बच जाएगी; क्योंकि उसे समय मिल जाएगा; लेकिन छोटी बिल्ली नहीं बच पाएगी; क्योंकि उसे उतना समय नहीं मिलेगा। इसलिए उस वैज्ञानिक ने जो यह पूछा कि दोनों बिल्लियाँ कैसे निकलेगी? यह प्रश्न मूर्खतापूर्ण नहीं है, अपितु इस प्रश्न में गहराई है। आचार्यदेव यह समझते हैं कि हमने अभी शिष्य को आतमा के दो-चार धर्म ही बताए हैं, अनंत नहीं तथा शिष्य आत्मा के अनेक धर्मों को जानना चाहता है। अतएव आचार्यदेव परिशिष्ट में ४७ धर्मों के माध्यम से पुन: आत्मा को समझाते हैं। __193
SR No.008370
Book TitlePravachansara ka Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2005
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size604 KB
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