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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates * नमः सिद्धेभ्यः * आचार्यकल्प पंड़ित टोडरमलजी कृत मोक्षमार्गप्रकाशक पहला अधिकार पीठबंध प्ररूपण . . . . अथ, मोक्षमार्गप्रकाशक नामक शास्त्र लिखा जाता है । [मंगलाचरण] दोहा - मंगलमय मंगलकरण , वीतराग-विज्ञान। नमौं ताहि जातें भये, अरहंतादि महान।।१।। करि मंगल करिहौं महा, ग्रंथकरनको काज। जातै मिलै समाज सब, पावै निजपद राज।।२।। अथ, मोक्षमार्गप्रकाशक नामक शास्त्र का उदय होता है। वहाँ मंगल करते हैं : णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।। यह प्राकृतभाषामय नमस्कार मंत्र है सो महामंगलस्वरूप है। तथा इसका संस्कृत ऐसा होता है : नमोऽर्हद्भ्यः, नमः सिद्धेभ्यः, नमः आचार॑भ्यः, नमः उपाध्यायेभ्यः, नमो लोके सर्वसाधुभ्यः । तथा इसका अर्थ ऐसा है :- नमस्कार अरहंतोंको, नमस्कार सिद्धों को, नमस्कार आचार्योको, नमस्कार उपाध्यायोंको, नमस्कार लोक में समस्त साधुओंको । -इस प्रकार इसमें नमस्कार किया, इसलिये इसका नाम नमस्कारमंत्र है । Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008265
Book TitleMoksh marg prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size2 MB
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