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________________ कोहदंसि (क्रोधदर्शिन् ) क्रोधने । भूमिवइ ( भूमिपति ) भुमिनो जोनार-क्रोधी पति-राजा दुक्खदंसि (दुःखदर्शिन् ) दुःखने उवाहि (उपाधि) उपाधि जोनार- दु:ख पामनार सेटि (श्रेष्ठिन् ) श्रेष्ठी-शेठ भोगि। ( भोगिन् ) भोगी गब्भदसि (गर्भदर्शिन् ) गर्भने मोइ । भोगोने भोगवनार जोनार-जन्म धारण करनार उदहि (उदधि) उद-पाणी-ने अभोगि (अभोगिन्) अभोगीधारण करनार-समुद्र साहु (साधु) साधक-साधन अभोइ भोगोने नहि भोगवनार पक्खि ( पक्षिन् ) पंखीकरनार, साधु पुरुष, सजन, शाहुकार जंतु (जन्तु) जंतु-प्राणी पांखवाळ सिसु (शिशु) शिशु-बाळक सोमित्ति ( सौमित्रि ) सुमित्रानो मच्चु (मृत्यु) मृत्यु-मोत-मरण पुत्र-लक्ष्मण मिच्चु । भिक्खु ( भिक्षु ) भिक्षु बिंदु (बिन्दु) बिंदु-मीडु, टीपु चक्खु (चक्षुष ) चक्षु-आंख भाणु (भानु) भानु-भाण-सूरज सयंभु ( स्वयंभू ) स्वयं थनारवाउ (वायु) वायु-वा ___ ब्रह्मा, ते नामनो समुद्र वायु विण्हु (विष्णु) विष्णु संसारहेउ (संसारहेतु) संसारनो हत्थि (हस्तिन् ) हाथी हेतु-संसार वधवानु कारण कुलवइ (कुलपति) कुलनो पति गुरु ( गुरु ) गुरु-वडिल माता -आचार्य पिता वगेरे नरवइ (नरपति) नरोनो पति तरु (तरु) तरु-दु-झाड नरपति-नरपत-राजा बाहु(बाहु) बाहु-बांय-हाथ ___अकारांत (नरजाति) वसह (वृषभ) वृषभ-बळद आहार (आहार) आहार-खावानुं कोसि ( कौशिक ) कौशिक | पहाविअ (नापित) नवरावनारोगोत्रवाळो इंद्र अथवा चंड- नाविण नावी-हजाम कौशिक सर्प | मत्र (मृग) मृग-वनपशु-हरण
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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