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________________ खत्त । (क्षेत्र) खेतर-छेतर सोअ। (श्रोत्र) श्रोत्रमोस कान-सांभळवानुं साधन वीरिय (वीर्य) वीर्य-बळ-शक्ति विशेषण मूढ (मूढ) मूढ-मोहवाळो- | पुट्ठ (पृष्ट) पूछायेखें अभण-अज्ञानी पंडित । (पण्डित) पंडित-भणेलो, पुङ (पुष्ट)५२ पुष्ट पंडिअ (पंड्यो, पोपटपंडित संजय (संयत) संयमवाळो दुल्लह (दुर्लभ)दुर्लभ-दुल्लभ-मुश्केल अव्यय नो (नो) नहि ब। (च) अने पुणो (पुनः) पुनःपुनः-फरीवार य उण) बहिआ। (बाह्य) बहार बज्झओ (बाह्यतः) बहारथीबहिया ___ बहार तरफ महासुत्तं ( यथासूत्रम् ) सूत्रमां- तत्तो (ततः) तेथी शास्त्रमा कह्या प्रमाणे । किं (किम् ) शुं, शा माटे धातु गवेल (गवेष)गवेषणा करवी-शोधq । नुकसान न थाय वस् (वस) वसवू-रहेQ ए रीते चूस वय (वद् ) वदवू-बोलवू जय (जय) जितQ पिन (पिब) पीएं हव् ) आ+पिब्) (आ+पिव) थोडं | भव । (भव) होवू-थवं आ+पिय पीवु-मर्यादाथी पा (पा) पीवु आ+विय) पीवु-सामाने पद (पठ) पढवू-भणधु ५२ 'ट' नो '8' थाय छः पृष्ट-पुट्ठ. पुष्ट-पुट्ठ. यादी-इष्टा, उष्ट्र अने संदष्ट शब्दना 'ट' नो 'ह' थतो नथी. इष्टा=इहा. उष्ट्र उदृ. संदट्ट सदट्ट.
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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