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________________ सोअ ( ( शोच) शोचयुं-विचासोच् खु, शोक करवो घडामां तळावनुं पाणी छे. नटो ढोल साधे मार्गमां नाचे छे. बाळको कांतिवडे शोभे छे. जिनो शीलने वखाणे छे. कुहाडावडे चन्दनने छेदुं छं. गरुडनुं जोडुं तळावमां पडे छे. बाळकोने छींक आवे छे. खेतरमां खार छे तेथी कणगा बळी जाय छे. शब्दोनो कोश करुं लुं गाडावडे नगर भणी जाउं छं. तृष्णाथी कलह थाय छे अने ४४ कलही द्वेष थाय छे. घाणं गंधस्स गहणं वयंति लोहा मोहो जाय दुक्खेसुंतो वेया वि न रक्खंति सोत्तं सहस्स गहणं वयंति दुखेर्हितो बीहंति पंडिता ? कार्य फासस्स गहणं वयंति सुक्खेसु मित्तं सुमिरति समणे महावीरे जयति मूढो पुणो पुणो बज्झ देक्खह पंडिता ! खीरं पिबिस्था भण (भण) भणवुं संयमी श्रमण सुखोधी हरखातो नथी अने दुःखोथी कोपतो नथी. बळदो पाणीनो कोस चे छे. राजाना भंडारमां रूपुं छे. बळदना कांधमां धोंसरु शोभे छे. पंडित पुरुषो मोक्षने इच्छे है. पंडितो शीलने शोधे छे पण गोत्रने पूछता नथी. शीलनो मार्ग दुर्लभ छे. बाळको उपाध्याय पासेथी पाठ भणे छे. भड पुरुषो दुःखधी शोक करता नथी. मूढा कामेसु मुज्झति चन्दणस्स रसमापिबति अप्पाणो अप्पाणस्स मितं किं बहिया मित्तमिच्छसि पुरिसे वीरियं पुण दुल्लहं पुरिसस काये पुण दुल्लहे अप्पाणं जिणाम संजया ! पुट्ठो पंडिओ जहासुक्तं वदति पंडिता पुट्ठा न होंति गीअस्स सदं सुणह
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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