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________________ दाणि दाणि इयाणि इयाणि) दुदछु (दुष्ठु) दुष्ट रीते ( इदानीम् ) हमर्णा- आजकाल ध्रुवं (ध्रुवम् ) ध्रुष - चोक्कस न ( न ) न नमो ( (नमः) नमस्कार णमो } णवर नर्यु - केवळ णाणा (नाना ) अनेक प्रकारनुं निच्चं णिच्चं ( नित्यम् ) नित्य } ना (नो ) नहीं पगे (प्रगे ) प्रागडवाश्ये - प्रातःकाले पुण पुणो (पुनः) पुनः पुनः, उण बज्झओ (बाह्यतः ) बहारथी, फरीवार बहार तरफ बहिआ ) (बाह्य) बहार बहिया } बहिछा (बहिर्धा) बहार मज्झे ( मध्ये) मध्ये - बच्चे-महीं- मो मणा । ( मनाक् ) मणयं मणा - थोडं - खामी दर्शक २३२ मा (मा) मा - नहीं मुसं मुसा (मृषा) मिथ्या-खोटुं मूसा मोसा) व ( (वा) वा अथवा के विणा ( ( विना) विना विना } व० दि० (बहुल दिवस) अंधारियुं सह (सदा सदा सक्त्रं ( साक्षात् ) साक्षात् - प्रत्यक्ष सततं ) ( सततम् ) सतत - निरंतर सययं । सया (सदा) सदा - हमेशा सव्वत्तो ( (सर्वतः) सर्व प्रकारे, सव्वओ J चारे बाजुथी सव्वत्थ ( सर्वत्र ) सर्वत्र-बधे ठेकाणे सव्वया (सर्वदा) सर्व वखते सव्वा (सर्वथा ) सर्व प्रकारे सद्धि } { सद्धि } सह सार्धम् सह- साथै सुडु (सुष्ठु सारी रीते सु० दि० ( शुक्ल दिनस ) अजवाळीयुं
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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