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________________ २३३ धातु भइवाय् (अति+पात) अतिपात । मभिप्पत्थ। (अभि+प्र+अर्थ) करवो-हणवू अभिपत्या प्रार्थना करवी अक्खोड (आ+क्षोद्) अमराय। (अमराय) अमरनी खोदवू-कापवू अमरा। पेठे रहे-पोतानी अग्घ (अर्घ) मूलवq-मूल्य करावq जातने अमर मानवी अच्च (अर्च) अर्चवू-पूजवं अरिह (अर्ह) योग्य थर्बु अचे (अति+इ) अतीत थq-पार अल्लि आलवू पाम अवमन्न् (अप+मन्य) अपमानवुअणुजाण (अनु+जाना) अनुज्ञा अपमान कर आपवी-संमति आपवी अवसीम (अव+सीद) अवसाद अणु+तप्प (भनु+तप्य) अनुताप पामवो-(खु)खूचवू करवो-पश्चात्ताप करवो अहिट्ठ (अधिनस्था-तिष्ठ) अधिअणु+भव (अनु+भव) अनुभव ___ष्ठान मेळवधू-ऊपरी थर्बु भोगवq अणुसास् (अनु+शास्) शिक्षण अहिलंख् । (अभि+लष) अभिल अहिलंघ् षवु-इच्छा करवी आपQ-समजावq आगम् (आ+गम् ) आवQ अण्ह (अइना) अशन करवु-जमवु आढव् (आ+रम्) आरंभq-शरू खा, करवू ओप्प आढा (आ+द) आदर करवो अब्भुत (अवभृथ) अबोटवु-आभ आ+ने (आ+नी) आणवु लावq डवु-नहावं आ+घा (आ+ख्या) आख्यान अभिजाण (अभि+जाना) अहि करवू-कहे ___ जाणवु-अंधाण-ओळखवु आभोग (आ+भोग) ध्यानपूर्वक अभि+निक्खिम् (अभि+निष्+। जोबु क्रम् ) हमेशने माटे घरथी । मायय् (आ+दय) आदान कर नीकळधु-संन्यास लेवो । -ग्रहण कर अप्प ) (अर्प) आप
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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