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________________ उपि अवरिं ( ( उपरि) ऊपर उवरिं उवरि पअं ( एतत् ) ए एगया (एकदा) एकवार - एक वखत पगततो ( एकान्ततः ) एक तरफी पत्थ ( अ ) अहीं एष एवं (एवम्) एम ए प्रमाणे कया (कदा ) क्यारे कलं ( कल्यम् ) काले ( कथम् ) केम, केवी रीते कहं कहि । (कुत्र) क्यां -कहीं कहिं कालओ ( कालतः ) काळे क- वखते किं ( किम् ) सुं, शा माटे कुत्तो ( ( कुतः) क्यांथी, शाथी, कुभो कई बाजुथी केवश्चिरं ( कियच्चिरम् ) केटला लांबा समय सुधी केवचिरेण (कियचिरेण ) केटला लांबा समय सुधी केवलं ( केवलम् ) केवळ खलु (खल) निश्चय खिप्पं (क्षिप्रम् ) खेप -जल्दी ३१ hot (खल) निश्चय (च) अने चिरं ( चिरम् ) चिरं - लांबा काळ सुधी जया (यदा) ज्यारे जहा ( ( यथा) जेम जह जहासुतं ( यथासूत्रम् ) सूत्रम - शास्त्रमां का प्रमाणे जहिं ( यत्र ) ज्यां- जहीं जं (यत्) जे- के जाव ) ( यावत् ) जो, ज्यां सुधी जा / जेण (येन) जे तरफ तओ, ततो ( ततः ) तेथी, तहा (तथा) तेम तह त्यार पछी तहि (तत्र) त्यां - तहीं तहिं ताव ( ( तावत् ) तो, त्यां सुधी ता तु (तु) तो तेण (तेन) ते तरफ
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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